चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पूजा बुकिंग का अता-पता नहीं!

Team PahadRaftar

चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पूजा बुकिंग का अता-पता नहीं!

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

अप्रैल अंतिम सप्ताह से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के पंजीकरण का आंकड़ा 10 लाख पार हो गया है। पर्यटन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 21 फरवरी से 5 अप्रैल तक कुल 1026204 श्रद्धालु पंजीकरण कर चुके हैं। इसमें केदारनाथ के लिए 369614, बदरीनाथ के लिए 308330, गंगोत्री के लिए 178677, यमुनोत्री धाम के 169583 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है।पर्यटन सचिव ने बताया कि इस बार श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए चारधामों में दर्शन के लिए टोकन सिस्टम शुरू किया जा रहा है। इससे श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ेगा। धाम में पहुंचने पर श्रद्धालुओं को टोकन दिया जाएगा। इसमें दर्शन करने का समय तय होगा। इसके अलावा प्रत्येक जिले में 30-30 पर्यटन मित्र भी रखे जाएंगे।चारधाम यात्रा शुरू होने के लिए अब दो सप्ताह का समय ही शेष रह गया है। लेकिन अभी तक केदारनाथ धाम में ऑनलाइन पूजा बुकिंग का कोई अता पता नहीं है? पर्यटन अधिकारियों का कहना है कि विभाग का काम सिर्फ यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं का पंजीकरण करना है। धामों में पूजा पाठ, ऑनलाइन पूजा की व्यवस्था बनना धर्मस्व विभाग या बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन है।चारधाम यात्रा को लेकर इस बार पर्यटन विभाग की ओर से बीकेटीसी को पूछा तक नहीं। यहां तक अधिकारी फोन तक नहीं उठाते हैं। बीकेटीसी की ओर से पर्यटन विभाग से यह अपेक्षा की जा रही है कि ऑनलाइन पूजा बुकिंग की सुविधा यात्री पंजीकरण के साथ की जाए। इस पर पर्यटन अधिकारियों का कहना है कि इस समय यात्रा के लिए पंजीकरण तेजी से चल रहा है। ऐसे में वेबसाइट में अलग से ऑनलाइन पूजा बुकिंग करने संभव नहीं है। इसमें समय लगता है। यदि बीकेटीसी या धर्मस्व विभाग को पहले से इसकी तैयारी करनी चाहिए थी। तभी यह संभव हो पाता।देश के प्रसिद्ध मंदिरों में वीआईपी दर्शन व्यवस्था का अध्ययन करने के बाद ही बीकेटीसी बोर्ड बैठक में वीआईपी दर्शन के लिए 300 रुपये शुल्क लेने का निर्णय लिया गया है। इस पर आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार ने अवगत कराया कि तिरुपति मंदिर में वीआईपी दर्शन के लिए 10500 रुपये लिए जाते हैं। जिसमें एक दिन में दर्शन एक हजार की संख्या निर्धारित है। आम श्रद्धालुओं के दर्शन रोक कर वीआईपी दर्शन कराए जाते हैं।

लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।

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