भगवती नंदा देवी के मायके भ्रमण पर ग्रामीण फूल मालाओं व मांगल गीतों से कर रहे भव्य स्वागत – लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ

Team PahadRaftar

ऊखीमठ। भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में जगत कल्याण के लिए तपस्यारत भगवती नन्दा के इन दिनों मायके भ्रमण से विभिन्न गांवों का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। भगवती नन्दा जिस भी गांव में पर्दापण कर रही है ग्रामीण भगवती नन्दा का फूल – मालाओं व मागंल गीतों से भव्य स्वागत कर रहे हैं। हर गांव में ग्रामीणों द्वारा नये अनाज के अनेक व्यंजन अर्पित किये जा रहे हैं तथा नन्दा कौथिग में बगडवाल नृत्य में हर व्यक्ति मंत्रमुग्ध होकर नृत्य कर अपार आनन्द की अनुभूति कर भगवती नन्दा की भक्ति में तल्लीन हो रहा है। जानकारी देते प्रधान बरंगाली महावीर सिंह नेगी ने बताया कि भगवती नन्दा शुक्रवार को मक्कूमठ से काण्डा गांव पहुंची थी तथा भगवती नन्दा के आगमन पर ग्रामीणों द्वारा भगवती नन्दा की विशेष पूजा – अर्चना कर नये अनाज का भोग अर्पित किया गया तथा देर सांय भगवती नन्दा रात्रि प्रवास के लिए डूण्डू गांव पहुंची तथा शनिवार को हूण्डू में बगडवाल नृत्य का आयोजन किया गया तथा देर सांय भावुक क्षणों के साथ ग्रामीणों द्वारा भगवती नन्दा को विदा किया तथा देर सांय भगवती नन्दा रात्रि प्रवास के लिए उषाडा गाँव पहुंच गयी है।

प्रधान दैडा योगेन्द्र नेगी ने बताया कि रविवार दोपहर को भी उषाडा गाँव में बगडवाल नृत्य का आयोजन कर ग्रामीणों द्वारा भगवती नन्दा से मनौती मांगी जायेगी तथा देर सांय को भगवती नन्दा दैडा गाँव के लिए विदा होगी तथा भगवती नन्दा के दैडा गाँव पहुंचने पर ग्रामीणों द्वारा फूल – मालाओं व पौराणिक जागरों से भगवती नन्दा का भव्य स्वागत किया जायेगा। उन्होंने बताया कि सोमवार दोपहर को दैडा गाँव में भी बगडवाल नृत्य का आयोजन किया जायेगा तथा देर सांय भगवती नन्दा को सारी गाँव के लिए विदा किया जायेगा। सामाजिक कार्यकर्ता गजपाल भटट् ने बताया कि भगवती नन्दा के सारी गाँव आगमन पर 19 अक्टूबर दोपहर बाद भव्य मेले का आयोजन किया जायेगा तथा ग्रामीणों द्वारा नये अनाज का भोग अर्पित कर क्षेत्र के खुशहाली व विश्व कल्याण की कामना की जायेगी तथा 20 अक्टूबर को भगवती नन्दा सारी गाँव से भावुक क्षणों के साथ विदा होकर मक्कूमठ पहुंचने पर जगत कल्याण के लिए तपस्यारत हो जायेगी। प्रधान मक्कू विजयपाल नेगी ने बताया कि भगवती नन्दा का मायके भ्रमण की परम्परा दशकों पुरानी है तथा भगवती नन्दा के भ्रमण से ग्रामीणों व धियाणियों में सौहार्द बना रहता है तथा बगडवाल नृत्य की परम्परा भी जीवित रखने की सामूहिक पहल हो रही है।

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