ऊखीमठ। केदार घाटी के ऊंचाई वाले इलाकों में विगत कई दिनों से हो रही बारिश के कारण हिमालय के आंचल में बसे सुरम्य मखमली बुग्याल हरियाली से आच्छादित हो गये हैं साथ ही ऊंचाई वाले इलाकों में अनेक प्रजाति के पुष्पों के खिलने से सुरम्य बुग्याल के प्राकृतिक सौन्दर्य पर चार चांद लगने शुरू हो गये हैं।
बता दें कि केदार घाटी के केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, मनणामाई तीर्थ सहित, पवालीकांठा, मोठ, पाण्डव सेरा, नन्दीकुण्ड, विसुणीताल , वासुकी ताल के आंचल में बुग्यालों की भरमार है। इन सुरम्य मखमली बुग्यालों को प्रकृति ने अपने अनूठे वैभवो का भरपूर दुलार दिया है। प्रकृति का रसिक जब मीलों पैदल चलकर इन बुग्यालों में पर्दापण करता है तो अपने को धन्य महसूस करता है। इन सुरम्य मखमली बुग्यालों में घड़ी भर बैठने से मानव जीवन के दुख: दर्दों को भूलकर प्रकृति का हिस्सा बन जाता है। विगत वर्षों की बाद करें तो 15 जून के बाद मानसून के लौटने के बाद लगभग एक माह बाद इन बुग्यालों में विभिन्न प्रजाति के पुष्प देखने को मिलते थे मगर इस वर्ष 20 अप्रैल से हिमालयी क्षेत्रों में हो रही बारिश से बुग्यालों में अनेक प्रजाति के पुष्प अपने यौवन पर है जिससे बुग्यालों की सुन्दरता पर चार – चांद लगने शुरू हो गये हैं।
प्रकृति प्रेमी योगेन्द्र नेगी ने बताया कि इन दिनों सुरम्य मखमली बुग्यालों में कुखणी, माखुणी, जया, विजया, रातों की रानी, गरुणपंजा, बारुण हल्दी सहित अनेक प्रजाति के पुष्प अपने यौवन पर है। पर्यावरणविद प्रदीप बजवाल ने बताया कि आने वाले दिनों में बारिश का क्रम इसी प्रकार रहा तो इस बार जुलाई माह के अन्त तक ब्रह्मकमल भी खिल जायेगें। भेड़ पालक महादेव धिरवाण ने बताया कि ऊंचाई वाले इलाकों में निरन्तर बारिश होने से हिमालय के आंचल से बसे सभी बुग्याल हरियाली से आच्छादित हो गये हैं तथा बुग्यालों का मौसम सुहावना महसूस हो रहा है। उन्होंने बताया कि मोठ बुग्याल में अनेक प्रजाति के पुष्प खिलने से ईश्वरीय शक्ति महसूस हो रही है। छह माह सुरम्य मखमली बुग्यालों में प्रवास करने वाले भेड़ पालक बीरेन्द्र धिरवाण ने बताया कि इन दिनों थौली – विसुणीताल के आंचल में अनेक प्रजाति के पुष्प खिलने से ऐसा आभास हो रहा है जैसे इस पावन माटी ने नव श्रृंगार किया हो।