मृदा स्वास्थ्य के लिए समग्र दृष्टि अपनाने की जरूरत
देहरादून/हरिद्वार/भोपाल : पतंजलि आर्गेनिक रिसर्च इंस्टिट्यूट (पोरी)हरिद्वार एवं देशभर से किसानों द्वारा स्वेच्छा पर आधारित ऑनलाइन कार्यक्रम योगाहार का 928 वां दिवस सम्पन्न हुआ. आज का कार्यक्रम मृदा स्वास्थ्य आधारित था.
चर्चा में यह बात उभर कर सामने आई कि मृदा स्वास्थ्य के लिए समग्र दृष्टि के साथ कार्य करने की आवश्यकता है. मिट्टी में जीवांश की प्रचूरता, पोषक तत्वों की भरपूरता, जलधारण शक्ति की उपलब्धता मिलकर फसलों के लिए जीवनी-शक्ति की निरंतरता का निर्धारण करती है. सभी उपस्थित वैज्ञानिक एवं किसानों ने मृदा स्वास्थ्य के लिए तैयार “सांप-सीढी के खेल चार्ट की सराहना की.
इस क्रम में सुरेश कुमार ने कहा कि फसल अवशेषों को निरंतर खेत में देने पर मिट्टी को वांछित पोषण खेत से ही मिल जाता है, जिससे मृदा समग्र रूप से स्वस्थ्य रहती है और किसान को अतिरिक्त मेहनत भी नहीं करनी पड़ती. वहीं भोपाल से कृषि विशेषज्ञ डॉ विनय स्वरुप मेहरोत्रा ने मृदा स्वास्थ्य के लिए समग्रता के साथ कार्य करने का सुझाव दिया. संजय नैथानी ने भी स्वास्थ्य की समग्रता के साथ ही जैविक अपशिष्टों के प्रबंधन पर जोर दिया. डॉ हरिराज सिंह ने प्रत्येक दिन खेतों के भ्रमण की प्रासंगिकता के महत्त्व पर बात रखी.
शुरुआत में पतंजलि आर्गेनिक रिसर्च इंस्टिट्यूट से श्री पवन कुमार जी ने योगाहार कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी . तत्पश्चात संस्थान की मृदा विशेषज्ञ डॉ मनोहारी राठी एवं श्री तरुण कुमार शर्मा ने ‘’मृदा स्वास्थ्य’’ पर प्रेजेंटेशन के माध्यम योगाहार से जुड़े किसानों द्वारा किये जा रहे कार्यों पर उपस्थित सदस्यों का ध्यान आकृष्ट किया. कहा कि किसान मिट्टी में सूक्ष्म जीव, पोषक तत्व एवं जल की उपस्थिति और उनकी गुणवत्ता के प्रति जागरूकता के साथ आगे बढ़ने के साथ कुछ चुनिंदा विधियों के आधार पर मृदा-स्वास्थ्य के मूल्यांकन में दिलचस्पी लेने लगे हैं. उन्होंने मृदा आद्रता विधि, केंचुआ विधि, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, धरती का डॉक्टर एवं मृदा स्वास्थ्य सीढ़ी चार्ट पर जानकारी प्रस्तुत की. कि स्वास्थ्य सीढ़ी एवं धरती के डॉक्टर का मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के किसानों के मध्य परीक्षण किया जा रहा है. किसान इनको दिलचस्पी के साथ उपयोग में ले रहे हैं.योगाहार के 928 वें एपिसोड में देश के अलग-अलग राज्यों से 60 से भी अधिक किसान प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया. इस कार्यक्रम में श्री रमेश चन्द्र मेहरा, श्री शरद वर्मा, श्री नरेन्द्र वर्मा, डॉ किशोर दुबे, डॉ विनोद भट्ट ने भी अपने अनुभव साझा किये.अंत में श्री मुन्नीलाल यादव जी ने सभी का धन्यवाद किया.