लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : शारदीय नवरात्रों के तीसरे दिन सिद्धपीठ कालीमठ में सैकड़ों भक्तों ने पूजा – अर्चना कर विश्व समृद्धि व क्षेत्र के खुशहाली की कामना की है। सिद्धपीठ कालीमठ व कोटि माहेश्वरी तीर्थ में प्रति दिन सैकड़ों भक्तों की आवाजाही होने से कालीमठ घाटी के विभिन्न हिल स्टेशनों पर रौनक बनी हुई है।मन्दिर समिति द्वारा आगामी दिनों में सिद्धपीठ कालीमठ में होने वाली पूजाओं की तिथि निश्चित कर दी गयी है, वहीं ग्रीष्मकाल में 10 हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों ने सिद्धपीठ कालीमठ पहुंच कर पूजा – अर्चना कर मनौती मांगी।
जानकारी देते हुए बदरी – केदार मन्दिर समिति सदस्य श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि शारदीय नवरात्रों में प्रतिदिन सैकड़ों तीर्थ यात्री सिद्धपीठ कालीमठ पहुंच कर पूजा अर्चना कर रहें हैं। उन्होंने बताया कि कालीमठ घाटी में प्रतिदिन सैकड़ों भक्तों की आवाजाही होने से कालीमठ घाटी के हिल स्टेशनों पर रौनक बनी हुई है तथा क्षेत्र के तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में खासा इजाफा हो रहा है। कालीमठ मन्दिर के प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि विद्वान आचार्यों व मन्दिर समिति द्वारा शारदीय नवरात्रों में आगामी दिनों में होनी वाली विशेष पूजाओं के कार्यक्रम तय कर दिये गये हैं।
उन्होंने बताया कि 20 अक्टूबर को रात्रि में काल रात्रि पूजन किया जायेगा तथा 21 अक्टूबर को रात्रि में कुण्ड प्रक्षालन, महाकाली उत्सव विग्रह, निशा पूजन, डोली दर्शन तथा रात्रि मेले का आयोजन किया जायेगा तथा 22 अक्टूबर को दिन में पूजन, 23 अक्टूबर को नवमी पूजन तथा दिन में भव्य मेले का आयोजन किया जायेगा तथा 24 अक्टूबर को दशहरा पूजन के साथ नवरात्र विसर्जन होगा! वेदपाठी रमेश चन्द्र भट्ट ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ तीर्थ में भगवती दुर्गा के महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती तीनों रूपों की पूजा एक साथ होने से महाकाली तीर्थ में पूजा का अधिक महत्व है। पण्डित दिनेश चन्द्र गौड़ ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ में युगों से प्रज्ज्वलित धुनी की भस्म धारण करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। पण्डित संजय भट्ट ने बताया कि केदारखण्ड में सिद्धपीठ कालीमठ तीर्थ की महिमा का विस्तृत वर्णन किया गया है।