भूमाफियाओं के दंश से ग्रसित नवधान्य फार्म
गुहार – डॉ वंदना शिवा
नवधान्य जैव विविधता फार्म पर एक बार फिर भूमाफियाओं की नजर लग गई है. 1 सितंबर २०२३ को यहाँ जैविक खेती पर “ए टू जेड” प्रशिक्षण प्रारम्भ हुआ। ठीक इसी रात को भू-माफियाओं ने नवधान्य परिसर और उसके निजी मार्ग पर निर्माण सामग्री घेर कर अवैध कंस्ट्रक्शन गतिविधियां शुरू की गई और इस आवासीय परिसर की शैक्षिक गितिविधियों में गतिरोध उत्पन्न करने लगे। इस वजह से यहां प्रतिभागियों और कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड रहा है। नवधान्य की निदेशक और पर्यावरणविद डॉ वंदना शिवा इसे नवधान्य की भूमि को हडपे जाने की गतिविधि मानती हैं। उनके अनुसार, ‘’भूमाफिया हमारे अनुसन्धान फार्म की भूमि और उसकी निजी सड़क को हड़पने की फ़िराक में हैं। बकौल उनके भूमाफियाओं ने एक साल पहले भी ऐसी हरकत की थी। जबकि न्यायालय ने समय-समय नवधान्य की निजी भूमि को मान्यता दी है। न्यायालय आदेश 16.3. 2009 केश संख्या 636/07 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “मानचित्र में दिखाई गई सड़क एवं भूमि नवधान्य ट्रस्ट की है और उस पर अवैध रूप से सड़क बनाने का कोई भी प्रयास स्थायी रूप से प्रतिबंधित किया जाता है। डॉ शिवा ने चिंतित होकर कहा कि माफियाओं के भारी उपकरण हमारे फार्म और बगीचे में जाकर हमारे पेड़, फसल और जैव विविधता को नष्ट कर रहे हैं। जब माफियाओं ने पहली बार हमारी संपत्ति पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण शुरू करने की कोशिश की थी, तब हमने माननीय न्यायालय की शरण ली, जिससे हमारी संपत्ति पर किसी भी निर्माण पर स्थगन का आदेश जारी हुआ और निर्माण रुकवा दिया गया था। उन्होंने कहा कि माफियाओं ने अब एक बार फिर मंडी समिति की आड़ में नवधान्य फार्म पर हेरफेर करने की कोशिश की है, जबकि इस परिसर के पीछे कोई भी निवास स्थान नहीं है। इस अतिक्रमणकारी गतिविधि पर नवधान्य द्वारा सम्बंधित अधिकारियों से बात करने पर यहाँ निर्माण गतिविधियों पर रोक लगी है. किन्तु अभी भी भू-माफियाओं का परिसर में घुसना और कर्मचारियों और प्रतिभागियों को परेशान करना पीड़ाजनक और भयाक्रांत गतिविधि हैं।
डॉ शिवा ने कहा कि हम प्रशासन से इस अवैध अतिक्रमण को स्थायी तौर पर रोक लगाने का आह्वान करते हैं. साथ ही मीडिया के माध्यम और जनसहयोग से नवधान्य के रचनात्मक कार्य को आगे बढ़ाने हेतु जनसमाज गुहार लगाते हैं, जिससे भू-माफियाओं की गतिविधियों पर सम्पूर्ण अंकुश लग सके।
देशी बीज और फसलों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए नवधान्य संस्था ने देशभर में कृषक बंधुओं का नेतृत्व किया है. इन फसलों में मुख्यत: प्रसिद्ध देहरादूनी बासमती के साथ ही मंडुआ, कौंणी, झंगोरा, बाजरा आदि शामिल हैं। ज्ञात हो कि ये फसलें हरित क्रांति के चलते एक तरह से भुला दी गई थी। इन फसलों का महत्त्व फिर से उभर कर सामने आया है. इसी महत्त्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को मिलेटस का वर्ष घोषित किया गया है। नवधान्य की जैविक खेती आंदोलन और कृषि सुधारों में भी अहम् भूमिका रही है।
ओल्ड शिमला रोड पर स्थित रामगढ नामक गाँव के किनारे नवधान्य जैव विविधता संरक्षण, संवर्धन एवं प्रशिक्षण फार्म है। बीजा विद्यापीठ और अर्थ युनिवेर्सिटी के नाम से पहचान बना चुके इस अनुसन्धान केंद्र पर उत्तराखण्ड सहित देश एवं विदेश के हजारों किसान अभी तक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
इस केंद्र की संस्थापिका पर्यावरणविद डॉ वंदना शिवा ने 30 से अधिक पुस्तकें और 300 से अधिक लेख दुनियाभर में प्रकाशित हो चुके हैं. उन्हें जैविक खेती एवं जैव विविधता संवर्धन के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय-स्तर के (वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार/राइट लाइवलीहुड अवार्ड सहित ) कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
नवधान्य फार्म की ख्याति विदेशों में भी प्रसिद्ध है. यूनाइटेड किंगडम में राजा चार्ल्स (तत्कालीन राजकुमार), पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चन्द्र खंडूरी, पूर्व राज्यपाल माइग्रेट अल्वा जैसे कई आगंतुक समय समय पर इस फार्म के भ्रमण पर आ चुके हैं. देश दुनिया के कई विश्वविद्यालय एवं संस्थानों में भी व्याख्यान देने के लिए डॉ वंदना शिवा को आमंत्रित किया जाता रहा है