चमोली जिले में मानसून सीजन का सबसे ज्यादा असर लोकपाल/फूलों की घाटी यात्रा सीजन पर दिखाई दिया। यहां श्रद्धालुओं व पर्यटकों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। जिसका सीधा प्रभाव स्थानीय व्यवसायियों पर भी पड़ा है, जिसके चलते यात्रा पहाड़ की दुकानें बंद हो गई हैं।
विश्व धरोहर फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क से संजय कुंवर की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
उत्तराखंड की उच्च हिमालई भ्यूंडार घाटी में मौजूद विश्व धरोहर स्थल फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान आजकल अपने शबाब पर है, यहां रंग -बिरंगे पुष्पों की सैकड़ों प्रजातियों के अलावा दुर्लभ जड़ी बूटियां खिली हुई है जो घाटी की जैव विविधता पर चार चांद लगा रही है। बावजूद इसके इस बार जुलाई माह में पिछले वर्ष की अपेक्षा लोकपाल घाटी ओर फूलों की घाटी में पर्यटकों और श्रद्धालुओं की आमद कम ही नजर आ रही है। विगत 10 दिनों से चमोली जिले के तीर्थाटन,धार्मिक पर्यटन,प्रकृति पर्यटन सीजन थम सा गया है।
जिला प्रशासन/सूचना विभाग द्वारा जारी प्रतिदिन जारी बदरीनाथ धाम और हेमकुंट साहिब यात्रा के पिछले 10 दिनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ जाहिर हो रहा कि यात्रा कितनी कम हुई है। 16 जुलाई को जहां बदरीनाथ धाम महज 2694 श्रद्धालु पहुंचे वहीं हेमकुंट साहिब में सिर्फ 253 तीर्थयात्री पहुंचे, और 17 जुलाई को जहां बदरीनाथ में 2369 यात्री पहुंचे तो हेमकुंट साहिब में यह आंकड़ा 189 यात्री पर सिमट गया। 18 जुलाई को बदरीनाथ धाम 4153 यात्री दर्शन करने आते है तो वहीं हेमकुंट साहिब 355 श्रद्धालु,19 जुलाई को जहां बदरी पुरी में 2918 श्रद्धालु पहुंचे वहीं हेमकुंट साहिब धाम में महज 290 श्रद्धालु मत्था टेकने पहुंचे इससे अंदाजा लगा सकते कि फूलों की घाटी में कितने प्रकृति प्रेमी प्रतिदिन पहुंच रहे है।
विगत दस दिनों से बदरीनाथ धाम/लोकपाल घाटी पहुंचे श्रद्धालुओं का ताज़ा आंकड़ा जिला प्रशासन चमोली के आधार पर
तारीख,, बदरीनाथ / हेमकुंट
12जुलाई 1916 820
13 जुलाई 5828 454
14 जुलाई 2357 283
15 जुलाई 6030 313
16 जुलाई 2694 253
17 जुलाई 2369 189
18 जुलाई 4153 355
19 जुलाई 2918 290
20 जुलाई 2558। 213
बदरीनाथ धाम के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद इस मानसून सीजन में जहां आधी ही गई है वहीं उच्च हिमालई लोकपाल तीर्थ और प्रकृति पर्यटन के लिए प्रसिद्ध विश्व प्राकृतिक धरोहर स्थल फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में पिछले दस दिनों से लगातार कमी आ रही है,जिसके चलते जोशीमठ से बदरीनाथ,लोकपाल वैली ऑफ फ्लावर्स रूट पर तीर्थाटन,और पर्यटन व्यवसाय से 4 माह के सीजन से 12 माह की आजीविका चलाने वाले हजारों होटल,लॉज,टेंट,ढाबा, संचालकों, स्थानीय पर्यटन कारोबारियों सहित घोड़ा खच्चर दंडी कंडी चलाने वाले लोगों में आजकल मायूसी छाई हुई है। अचानक सीजन थमने से जहां लोकपाल घाटी वैली ऑफ फ्लावर्स के यात्रा बेस कैम्प घांघरिया से लेकर अटला कोटी,भ्यूंडार,गोविंद घाट तक यात्रा सीजन कम होने का असर साफ दिखाई दे रहा है। हालांकि फूलों की घाटी में सुहावने मौसम के बीच पुष्प भी सीजन के हिसाब से अच्छे खिले है बावजूद इसके कुछ दिनों से यहां भी प्रकृति प्रेमियों की आमद कम ही हो रही है,पूरे लोकपाल घाटी के रूट पर चहल पहल कम ही दिख रही है। यात्रा में कमी के चलते यात्रा मार्ग पर कई दुकानें फ़िलहाल बन्द हो गई हैं,घांघरिया में दिन में बाजार खाली खाली दिखाई दे रहा है। होटल लॉज भी अधिकतर खाली नजर आ रहे है तो घोड़ा खच्चर चलाने वाले जोशीमठ क्षेत्र के लोगों की माने तो आजकल यात्री कम होने से घोड़ा पड़ाव सुनसान पड़ा है कई दिनों से उनका नम्बर ही नहीं आया है। घोड़ों की खानपान खुराक काफी महंगी है लिहाजा यात्री नहीं मिलने पर बिना काम खाली बैठना पड़ रहा है। वहीं स्थानीय होटल कारोबारी उमेश चौहान,रजनीश चौहान,सुशील चौहान सहित थैंग गांव के घोड़ा संचालक भगत सिंह का कहना है कि यहां सब कुछ सामान्य है। मानसून में पहाड़ों में सड़क बन्द होना बड़ी बात नहीं है लेकिन यात्रा थमने से इसका असर यहां छोटे बड़े सभी कारोबारियों पर हो रहा है। वहीं घांघरिया में नंदा लोकपाल होटल के संचालक संजय सिंह चौहान बताते है कि हिमाचल में हुई भारी तबाही और पहाड़ों में सड़क बन्द होने व पहाड़ी दरकने, मलवा गिरने की खबरों और यू ट्यूब चैनल वालों की कीमत यहां लोकपाल घाटी में हम लोगों को चुकानी पड़ रही है। कहते है कि यहां तो सब कुछ ठीक ठाक है और सुरक्षित है पिछले 12 दिनों को भूलकर अब नई शुरुवात करनी है दो – तीन दिन बाद फिर से घांघरिया में पुरानी चमक लौटेगी! तीसरे सप्ताह से वैली ग्रुपों की बुकिंग 20 अगस्त तक आ रही है। लिहाजा घाटी में पसरा यात्रियों का सन्नाटा जल्द चहल पहल के रूप में लौटेगा।