सीमांत माणा गांव में वसुधारा जलप्रताप तीर्थयात्रियों को बरबस ही अपनी ओर कर रहा आकर्षित

Team PahadRaftar

संजय कुंवर माणा बदरीनाथ

देश के अंतिम सरहदी ऋतु प्रवासी गांव माणा (मणिभद्रपुर) से करीब पांच किमी दूर समुद्रतल से 13500 फीट की ऊंचाई पर एक अद्भुत जल प्रपात वसुधारा तीर्थयात्रियों ओर पर्यटकों को आजकल खूब आकर्षि‍त कर रहा है। जोशीमठ प्रखंड में स्थित भू – बैकुंठ नगरी बदरीनाथ धाम से आठ और देश के अंतिम गांव माणा से पांच किमी दूर धर्म पथ पर स्थित समुद्रतल से 13500 फीट की ऊंचाई पर एक अद्भुत जल प्रपात (झरना) है। जिसे शास्त्रों में वसुधारा नाम से जाना जाता है। 400 फीट की ऊंचाई से गिर रहे इस झरने की खूबसूरती बरबस सम्मोहित करने वाली है।यही वजह है कि भगवान बदरी विशाल के दर्शनों को आने वाले अधिकांश तीर्थयात्री व पर्यटक वसुधारा जाना नहीं भूलते। इन दिनों भी ऐसा ही नजारा है। पूरी वसुधारा घाटी इन दिनों तीर्थ यात्रियों की आमद से गुलजार है।

मान्यता है कि राजपाट से विरक्त होकर पांडव द्रोपदी के साथ इसी रास्ते से सतोपंथ स्वर्गारोहिणी को गए थे। कहा जाता है कि यही वसुधारा में सहदेव ने अपने प्राण और अर्जुन ने अपना धनुष गांडीव त्यागा था।स्कंद पुराण के वैष्णवखंड बद्रिकाश्रम माहात्म्य में इस जल प्रपात की महत्ता बताई गई है। कहा गया है कि इस जल प्रपात का एक छींटा मात्र भी पड़ने से मनुष्य के समस्त विकार मिट जाते हैं। इसलिए काफी संख्या में यात्री वसुधारा जाने का प्रयास करते हैं।कर्नाटक से बदरीनाथ धाम पहुंचे श्रद्धालु भावेश सिंह कहते है की वसुधारा तक पहुंचने में थकान हुई लेकिन जलप्रताप के दर्शन मात्र से तन और मन की थकान मिट गई, सच में यह धर्म पथ तीर्थ है जिसकी अनुभूति उनकी भी हुई है।

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