चमोली : प्रदेश सरकार एक ओर पहाड़ की महिलाओं के पीठ का बोझ कम करने के लिए घसियारी योजना चला रही है। वहीं कही जिलों में अभी भी योजना तो दूर की बात महिलाओं को जंगल से घास लाने वाले मार्ग तक ठीक न होने के चलते महिलाएं जान जोखिम में डालकर मवेशियों के लिए घास चारा लाने को मजबूर हैं। महिलाओं का साफ कहना है कि सरकार हमारे पीठ का बोझ कम नहीं पहले हमारे घास जाने के रास्ते ठीक कर दो? जिससे हम सुरक्षित रह सकें।
पहाड़ में महिलाओं का जीवन हमेशा से ही कठिनाइयों से भरा रहा। अपने पशु और मवेशियों को घास चारा लाने के लिए कई बार महिलाएं हादसे की शिकार होते आए हैं। इसके बावजूद भी सरकारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं गया है।अब भले प्रदेश सरकार ने पहाड़ की महिलाओं के लिए घसियारी योजना के माध्यम से उनके पीठ का बोझ कम करने की सोची है। लेकिन यह योजना अभी प्रदेश के मात्र 4 जिलों में संचालित हो रही है। जबकि सीमांत के सभी पहाड़ी जिलों की महिलाओं के लिए पशुओं के लिए घास लाना एक बड़ी चुनौती बनी होती है।
प्रदेश सरकार की घस्यारी योजना पहाड़ी जिलों में अभी भी शुरू न होने से इसका लाभ सीमांत की महिलाओं को नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते महिलाएं जान जोखिम में डालकर जंगलों से घास लाने को मजबूर हैं।
सीमांत चमोली जिले में प्रदेश सरकार की घसियारी योजना अभी तक शुरू नहीं पाई है! जिसके चलते यहां की मातृशक्ति को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
चमोली जिले में दशोली ब्लॉक के सिरकोट मायापूर की महिलाओं द्वारा अपने मवेशियों के लिए घास लाने के लिए जान जोखिम में डालकर आवाजाही की जा रही है। पिछले बरसात में जंगल का रास्ता भूस्खलन होने से टूट गया था, जिसे अभी तक नहीं बनाया गया। ऐसे में ग्रामीण महिलाओं ने लकड़ी की बलियां लगाकर आवाजाही की जा रही है। जहां पर कभी भी बड़ी अनहोनी होने का अंदेशा बना हुआ है। स्थानीय लोगों द्वारा इसकी शिकायत नगर पंचायत पीपलकोटी और वन विभाग से की गई है लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। ग्रामीण महिलाओं का साफ कहना है कि सरकार की घसियारी योजना हमें नहीं चाहिए सरकार फिलहाल हमारे जंगल जाने के पैदल मार्ग को दुरस्त कर दें यही हमारे लिए सबसे बड़ी योजना होगी। जिससे हम और हमारा परिवार सुरक्षित रह सकें। सिरकोट गांव की उमादेवी, प्रियंका देवी व मीना देवी का कहना है कि पिछले बरसात में जंगल जाने का रास्ता बारिश व भूस्खलन होने से टूट गया था। इसकी शिकायत वन विभाग व नगर पंचायत पीपलकोटी से की गई है लेकिन अभी तक किसी के द्वारा भी इस मार्ग को ठीक नहीं किया गया। जिसके चलते हमें जान जोखिम में डालकर बलियों के सहारे घास लाने को मजबूर होना पड़ रहा है। यहां पर कभी भी कोई बड़ा हादसा होने का खतरा बना हुआ है!