महिला को पांच किमी कुर्सी की पालकी में लाए सड़क तक, एंबुलेंस में जन्मा बच्चा
जिले के घाट विकासखंड की सुदूरवर्ती ग्राम पंचायत कनोल के प्राणमति गांव तक यातायात सुविधा न होने का खामियाजा आज भी यहां के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। गांव की महिला को प्रसव पीड़ा के बाद कुर्सी की पालकी बनाकर पांच किमी तक पैदल ही ग्रामीणों द्वारा पहुंचाया गया। उसके बाद एंबुलेंस में महिला ने बच्चे को जन्म दिया। अब जच्चा बच्चा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घाट में स्वस्थ हैँ।
बताया गया कि प्राणमति गांव की करिश्मा पत्नी राजेंद्र कुमार को तड़के प्रसव पीड़ा हुई। सड़क सुविधा न होने के बाद ग्रामीणों ने आनन फानन में महला को कुर्सी की पालकी बनाकर पांच किमी पैदल ही सितेल सड़क तक पहुंचाया। यहां से एंबुलेंस बुलाई गई। एंबुलेंस के पहुंचने तक महिला सड़क पर ही प्रसव पीड़ा में कराहती रही। हालांकि एंबुलेस पहुंचने के बाद कनोल से 15 किमी दूर वादुक बैंड में महिला ने एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म दिया। बाद में उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घाट में भर्ती कराया गया है।
इसे चमोली जिले के सुदूरवर्ती गांवों की विडंबना ही कहें। सरकार द्वारा सुदूर गांवों को सड़क से जोड़ने के लगातार दावे किए जा रहे हैं। चुनावों के दौरान सरकार अपनी उपलब्धियों में भी इसे शामिल कर रही है। मगर चमोली जिले का दूरस्थ कनोल गांव ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात की धरातलीय स्थिति की पोल खोल रहा है। कनोल की ग्राम प्रधान सरस्वती देवी का कहना है कि वर्ष 2018 में सितेल लेटाला कनोल 15 किमी सड़क को स्वीकृति भी मिल चुकी है। कहा कि यह मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल है। मगर चार साल बाद भी इस सड़क पर निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है। जबकि ग्रामीण कई बार शासन प्रशासन से इस संबंध में पत्राचार कर चुके हैं। ग्राम प्रधान का कहना है कि सड़क न होने के कारण प्रसव के दौरान कई महिलाओं की रास्ते में ही मौत हो जाती है। बीमार या घायलों की स्थिति भी कमोवेश ऐसे ही है।