लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : क्रौंच पर्वत के शीर्ष पर विराजमान देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी के तीर्थ में 11 दिवसीय महायज्ञ व पुराण वाचन का शुभारंभ वेद ऋचाओं के साथ शुरू हो गया हैं। महायज्ञ व पुराण वाचन के शुभारंभ अवसर पर सैकड़ों भक्तों ने शामिल होकर विश्व समृद्धि व क्षेत्र के खुशहाली की कामना की। कार्तिक स्वामी तीर्थ में महायज्ञ व पुराण वाचन के आयोजन से कार्तिक स्वामी तीर्थ सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर रौनक लौटने लगी है। महायज्ञ व पुराण वाचन में आगामी 14 जून को बीहड़ चट्टानों के मध्य से भव्य जल कलश यात्रा निकाली जायेगी तथा 15 जून को पूर्णाहुति के साथ महायज्ञ का समापन होगा।सोमवार को ब्रह्म बेला पर ग्राम पंचायत घिमतोली के स्वारी गाँव में भगवान कार्तिक स्वामी के प्रतीक चिह्न ( रुपछडी़) की पूजा अर्चना कर भगवान कार्तिक स्वामी सहित तैतीस कोटि देवी – देवताओं का आवाह्न कर ठीक सात बजे प्रातः भगवान कार्तिक स्वामी का प्रतीक चिह्न स्थानीय वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों व सैकड़ों भक्तों की जयकारों के साथ कार्तिक स्वामी तीर्थ के लिए रवाना हुआ। भगवान कार्तिक स्वामी के प्रतीक चिह्न के ग्वास गाँव पहुंचने पर प्रधान बसन्ती देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य अर्जुन सिंह नेगी व नव युवक मंगल दल अध्यक्ष दीपक सिंह नेतृत्व में ग्रामीणों ने पुष्प अक्षत्रों से भव्य स्वागत किया। ठीक दस बजे भगवान कार्तिक स्वामी के प्रतीक चिह्न के स्कन्द नगरी पहुंचने पर कथावाचक वासुदेव प्रसाद थपलियाल ने आरती उतारी तथा मन्दिर समिति अध्यक्ष शत्रुध्न नेगी, सचिव बलराम नेगी, कोषाध्यक्ष बलराम नेगी सहित सैकड़ों भक्तों ने भगवान कार्तिक स्वामी के प्रतीक चिह्न का भव्य स्वागत किया। स्कन्द नगरी में भगवान कार्तिक स्वामी के प्रतीक चिह्न के अल्प विश्राम करने के बाद भगवान कार्तिक स्वामी का प्रतीक चिह्न कार्तिक स्वामी तीर्थ के रवाना हुआ तथा प्रतीक चिह्न के धाम पहुंचने पर 11 दिवसीय महायज्ञ व पुराण वाचन का शुभारंभ वेद ऋचाओं के साथ शुरू हो गया है। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों के श्रद्धालुओं द्वारा विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रधान बीरेंद्र राणा, अनिल जिरवाण, सन्दीप बर्तवाल, शिवराज सिंह नेगी, प्रेम सिंह नेगी, क्षेत्र पंचायत सदस्य सन्तोष नेगी, सुधीर नौटियाल, सुरेन्द्र सिंह नेगी, सुरजी देवी सहित मन्दिर समिति के पदाधिकारी,सदस्य, विभिन्न क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि व सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।