नन्दा अष्टमी पर्व :मां नन्दा के देव फुलारी दिव्य पुष्प ब्रह्मकमल लेने उच्च हिमालय कैलाश रवाना
संजय कुंवर जोशीमठ
सीमांत प्रखंड जोशीमठ में मां नन्दा देवी को समर्पित देव पर्व नन्दा अष्टमी शुरू हो गई है। सीमांत क्षेत्र की आराध्या देवी मां नन्दा की आस्था का लोक उत्सव नन्दा अष्टमी पर्व आज से शुरू हो गया है। नगर क्षेत्र के डाडों गांव में इसबार नन्दा अष्टमी 3 सितम्बर को होगी।आज सुबह ही वैदिक मंत्रोच्चार ओर पारम्परिक रीति रिवाजों के तहत मां नन्दादेवी मंदिर डांडों गांव से रिंगाल की कंडी और 4 देव फुलारी नंगे पांव दिव्य पुष्प ब्रह्मकमल लेने 30 किलोमीटर दूर उच्च हिमालय क्षेत्र पांगरचूला कुंवारी बुग्याल हुए रवाना, जो कल 2 सितम्बर को देव पुष्पों की कंडी के साथ वापस लौटेंगे।
बता दें कि डाडों गांव में देव फुलारी की यह परम्परा पिछले 120 वर्ष पहले शुरू हुई थी जो आज भी जारी है, देव फुलारी के रूप में उच्च हिमालय गए नीरज बिष्ट कहते हैं कि वो लगातार पिछले 9 वर्षों से मां नन्दा की कृपा से ही ब्रह्मकमल लेने फुलारी के रूप में जा चुके हैं और दिव्य पुष्प तोड़ते समय की अनुभूति को साझा करते हुए बताते है कि नियम धर्म के तहत नंगे पैर 30 किलो मीटर पैदल उच्च हिमालय में चलता सचमुच अलग अनुभूति पैदा कर देती है। मां नन्दा की कृपा है तभी हम 9 वर्षों से मां नन्दा के फुलारी बने हैं, यह सौभाग्य सबको नहीं मिलता है। मान्यता है कि इन दिव्य ब्रह्म कमल पुष्पों के साथ मां नन्दा गौरा, कैलाश से अपने मायके पहुंचती है,अगले दिन नन्दा अष्टमी पूजा के साथ सभी नन्दा भक्त नम आंखों के साथ मां नन्दा को अपनी बेटी ध्याण की तरह ससुराल कैलाश की ओर विदा करते हैं। मान्यता है कि उच्च हिमालय में ब्रह्म कमल टूटने के साथ निचले हिमालई क्षेत्रों में ठंड पड़नी भी शुरू हो जाती है।