शीतकाल के लिए योगध्यान मंदिर में विराजित हुए भगवान बदरी विशाल
भगवान बदरी विशाल के सखा उद्वव जी व कुबेर जी की डोलियों के साथ ही आदि गुरु शंकराचार्य की गददी पूजा अर्चना के बाद बदरीनाथ धाम से योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंची। इस दौरान जगह जगह डोली यात्रा का स्वागत किया गया। अब छह माह तक शीतकाल में भगवान बदरी विशाल की पूजा अर्चना व दर्शन योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में ही श्रद्धालु कर सकेंगे।
सुबह बदरीनाथ मंदिर परिसर में उद्वव जी, कुबेर जी की डोली के साथ आदि गुरु शंकराचार्य की गददी को लाया गया। यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं व हक हकूकधारियों ने डोलियों की पूजा अर्चना की। उसके बाद बोल बदरी विशाल के जयकारों के साथ डोलियों को पांडुकेश्वर के लिए रवाना किया गया। बदरीनाथ धाम से पांडुकेश्वर गांव तक सेना के बैंड की मधुर धुनों के बीच यह धार्मिक यात्रा देखते ही बन रही थी। बदरीनाथ मार्ग पर हनुमानचटटी व अन्य स्थानों पर श्रद्धालुओं ने डोली यात्रा का फूल मालाओं के साथ स्वागत व पूजा अर्चना की। उसके बाद डोलियां योगध्यान बदरी मंदिर पहुंची। डोली यात्रा के पांडुकेश्वर पहुंचने पर यहां पर भी हक हकूकधारियों व श्रद्धालुओं ने डोली यात्रा का स्वागत किया। उद्वव जी व कुबेर जी की उत्सव डोली को योगध्यान बदरी मंदिर में विराजित किया गया। शंकराचार्य की गददी कल आज पांडुकेश्वर से जोशीमठ पहुंचेगी। जहां नृसिंह मंदिर में गददी को शीतकाल के लिए विराजित किया जाएगा। इस अवसर पर बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल सहित अन्य श्रद्धालु मौजूद थे।