ऊखीमठ : भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में कल देर सांय को भैरव पूजन के साथ ही केदारनाथ यात्रा का आगाज हो जायेगा। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दूसरे चरण में विकराल रुप धारण करने से इस बार शासन ने चार धाम की यात्रा को स्थगित करने का निर्णय तो लिया है मगर पर्वतराज हिमालय की गोद में बसे भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने तथा पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर से कैलाश रवाना होने से पूर्व केदार पुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ की पूजा की परम्परा प्राचीन है।
इसी परम्परा को जीवित रखते हुए आगामी 13 मई को केदार पुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ की पूजा सादगी से की जायेगी। लोक मान्यताओं के अनुसार भैरवनाथ को केदार पुरी का क्षेत्र रक्षक माना जाता है। भगवान केदारनाथ के कपाट बन्द होने के बाद भैरवनाथ भी शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विराजमान हो जाते हैं ऐसी मान्यता है! दशकों से चली आ रही परम्परा के अनुसार भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने तथा पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर से हिमालय रवाना होने से पूर्व भैरवनाथ पूजन किया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भैरवनाथ पूजन के बाद भैरवनाथ ऊखीमठ से केदार पुरी की रक्षा करने के लिए केदारनाथ चले जाते हैं तथा जगत कल्याण तथा केदार पुरी की रक्षा के लिए ग्रीष्म काल छह माह केदारनाथ धाम से लगभग 1 किमी दूर बुग्यालों के मध्य एक चोटी पर तपस्यारत रहते हैं! वहाँ पर भी भैरवनाथ का भव्य व दिव्य तपस्या स्थल है। जानकारी देते हुए देव स्थानम् बोर्ड के अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि इस बार 13 मई को देर सांय को भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में केदार पुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ की पूजा विधि – विधान व सादगी से की जायेगी! उन्होंने बताया कि विगत दो वर्ष उ भैरवनाथ पूजन को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था तथा ग्रामीण भैरवनाथ पूजन में बढ़- चढ़ कर भागीदारी करते थे मगर विगत दो वर्षों से वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण भैरव पूजन सादगी से किया जा रहा है तथा शासन की गाइडलाइन के अनुसार ही सिमित लोग भैरवनाथ पूजन में शामिल हो रहें हैं।