केदारघाटी की चोटियों पर बर्फबारी होने से तापमान में गिरावट – लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ

Team PahadRaftar

ऊखीमठ : केदार घाटी में एक बार फिर मौसम ने करवट ले ली है। केदारघाटी सहित सम्पूर्ण भू-भाग में मौसम के मिजाज बदलने से हिमालयी क्षेत्र सहित केदारनाथ, मदमहेश्वर धाम बर्फबारी से हिमाच्छादित हो गए हैं। निचले क्षेत्रों में बारिश होने से तापमान में गिरावट महसूस होने के साथ ही जनजीवन अस्त – व्यस्त हो गया है। मौसम के बार – बार करवट लेने के काश्तकारों की आजीविका खासी प्रभावित हो रही है।आने वाले दिनों में यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो सीमान्त क्षेत्रों में भी बर्फबारी के आसार बने हुए है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार केदार घाटी में मंगलवार देर रात को मौसम ने करवट ली तथा बुधवार को भौर होते हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश शुरू हो गयी है। केदारनाथ, मदमहेश्वर, पवालीकांठा, मनणामाई तीर्थ, पाण्डव सेरा, नन्दीकुण्ड सहित हिमालयी भूभाग एक बार फिर बर्फबारी से हिमाच्छादित हो गया है।केदारनाथ तथा मदमहेश्वर धामों में लगभग 6 फीट बर्फबारी जमने का अनुमान लगाया जा रहा है जबकि मनणामाई तीर्थ, पाण्डव सेरा, नन्दीकुण्ड सहित ऊंचाई वाले इलाकों में 8 से 10 फीट तक बर्फबारी जमने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है! आने वाले समय में यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो तुंगनाथ, चोपता, कार्तिक स्वामी सहित, तोषी, त्रियुगीनारायण, चौमासी, गौण्डार, गडगू सहित सीमान्त गांवों में बर्फबारी होने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। निचले क्षेत्रों में बारिश होने से जनजीवन अस्त – व्यस्त हो गया है तथा तापमान में गिरावट महसूस की जा रही है। केदार घाटी के निचले क्षेत्रों में बारिश होने से प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने के साथ प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर वृद्धि देखने को मिल तो रही है मगर काश्तकारों की धान की असंचित बुवाई खासी प्रभावित हो रही है। प्रधान रासी कुन्ती नेगी ने बताया कि विगत वर्षों तक काश्तकार बसन्त पंचमी आगमन के बाद धान की असंचित बुवाई की तैयारियों में जुट जाता था मगर इस बार मौसम के बार – बार करवट लेने से काश्तकार खासे चिन्तित हैं। काश्तकार बलवीर राणा ने बताया कि इस बार सीमान्त क्षेत्रों में बर्फबारी असधिक होने के कारण काश्तकारों की साग – भाजी के उत्पादन में खासा असर देखने को मिला है! काश्तकार शंकर पंवार ने बताया कि मौसम के बार – बार करवट लेने से काश्तकार खासे परेशान है तथा पशुपालकों के सन्मुख चारा पत्ती का संकट बना हुआ है।

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