ऊखीमठ : केदार घाटी के हिमालयी भू-भाग सहित सीमान्त क्षेत्र एक बार फिर बर्फबारी की चपेट में आने से तापमान में भारी गिरावट महसूस होने लगी है। मौसम के बार – बार करवट लेने व निचले क्षेत्रों में बारिश होने से काश्तकारों की चिन्ताये बढ़ती जा रही है क्योंकि निचले क्षेत्रों में बारिश होने से काश्तकारों की खेती – बाडी़ का कार्य खासा प्रभावित हो गया है। तुंगनाथ घाटी में मौसम के अनुकूल बर्फबारी होने से स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में खासा इजाफा देखने को मिल तो रहा है मगर बर्फबारी के कारण कुछ स्थानों पर बाधित होने के कारण पर्यटकों को मंजिल तक पहुंचने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि केदार घाटी में मंगलवार देर रात को अचानक मौसम के करवट लेने से सुबह होते – होते केदारनाथ, पवालीकांठा, मनणामाई तीर्थ, शीला समुद्र, मदमहेश्वर, पाण्डव सेरा, नन्दीकुण्ड, वासुकीताल, विसुणीताल, तुंगनाथ, ताली – रौणी सहित ऊंचाई वाला भूभाग बर्फबारी से लदक होने तथा निचले क्षेत्रों में हल्की बारिश होने से तापमान में भारी गिरावट महसूस होने से जनजीवन अस्त – व्यस्त हो गया है। निचले क्षेत्रों में बारिश होने से काश्तकारों की दिन चर्या के साथ धान की असिचित बुवाई भी खासी प्रभावित हो गयी है। विगत वर्षों की बात करे तो काश्तकार बसन्ती पंचमी से खेतों में धान की असिचित बुवाई की तैयारियों में जुट जाता था मगर इस बार मौसम की बेरूखी के कारण काश्तकार घरों में कैद रहने के लिए विवश हो गया है। काश्तकार बिक्रम सिंह रावत ने बताया कि मौसम की बेरूखी के कारण काश्तकारों की धान की असिचित बुवाई शुरू न होने से काश्तकार खासे परेशान है। तुंगनाथ घाटी में समय – समय पर हो बर्फबारी से स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा तो हो रहा है मगर कुण्ड – चोपता – गोपेश्वर मोटर मार्ग पर कई स्थानों पर यातायात बाधित होने से पर्यटकों को मंजिल तक पहुंचने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ईको पर्यटन विकास समिति अध्यक्ष चोपता भूपेन्द्र मैठाणी ने बताया कि तुंगनाथ घाटी में कई स्थानों पर छ: फीट तक बर्फ जमी है तथा तुंगनाथ धाम में बर्फबारी जारी है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि यदि आने वाले समय में मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो सीमान्त गांवों में बर्फबारी के आसार बने हुए है।