कागभूषण्डि ताल : यहाँ पग-पग पर त्रेतायुग के पौराणिक मान्यता और रहस्य छिपे हैं : शर्मिला दी”पथारोही”
कागभूषण्डि ताल जहाँ कौवे ने गरुड़ को सुनाई थी रामायण की कथा,जी हाँ त्रेता युग से जुड़ी कई मान्यता है इस ताल की जिसको लेकर स्थानीय लोगों में इस ताल के प्रति अगाध आस्था है। जोशीमठ के नन्दा देवी बायोस्पियर रिजर्व क्षेत्र के अंतरगर्त 4500मी० की ऊँचाई पर उच्चहिमालयी क्षेत्र में स्थित कागभूषण्डि ताल हिमालयी क्षेत्र की एक पौराणिक मान्यताओं से भरी पवित्र झील है। कहते है की लोमेश ऋषि के श्राप से कागभूषण्डि कौवा बन गए थे और ऋषि ने ही उनको मुक्ति हेतु राम मंत्र के साथ इच्छा मृत्यु का वरदान दिया था। बाल्मीकि से पूर्व कागभूषण्डि द्वारा रामायण गिद्ध गरुड़ को सुना दी थी।बारामासी हिमांछदित् हाथी पर्वत की तलहटी में स्थित है यह खूबसूरत पौराणिक ताल जहाँ बर्फबारी का होना देश में सर्दी की शुरुआत मानी जाती है।
इस विकट क्षेत्र में 6 दिनों में पथारोहण अभियान पूरा कर सकुशल जोशीमठ लौटी। पश्चिम बंगाल की जोश और जज्बे से भरी साहसिक महिला पथरोही शर्मिला उन पुरुषों के लिए जोरदार जवाब दे गई है जो महिलाओं को साहसिक क्रियाकलापो,एडवेंचर, ट्रैकिंग,आदि क्षेत्र में जाने पर सवालिया निशान खड़ा करते हैं। दरअसल शर्मिला अकेले ही बंगाल से जोशीमठ काग भूषण्डि ताल की ट्रैकिंग करने पहुँची और यहाँ से स्थानीय माउंटेन गाईड सोहन सिंह के साथ निकल पड़ी काग भूषण्डि ताल की डगर पर,पथारोही शर्मिला कहती है की इस झील का रामायण काल से सम्बन्ध होना ही सबसे बड़ी बात थी जो मेने इस ताल के बारे में सुना वैसे ही अनुभूतियां औरआध्यात्मिक शांति यहाँ पहुँचने पर मुझे हुई है।
वहीं पथरोही शर्मिला की पथ प्रदर्शक जोशीमठ परसारी के ट्रैकर सोहन सिंह अपने अनुभव साझा करते हुए कहते हैं की उन्होंने 12 सितंबर से ट्रैक शुरू किया और विष्णु प्रयाग,पेंका, एडी उडियार रीख खर्क, कुनकुन खाल पार कर हम काग भूषण्डि ताल पहुँचे। दल में एकमात्र महिला ट्रैकर थी तो जिम्मेदारी और बढ़ गई थी लेकिन मौसम साथ दे गया तो दल की अकेली मेम्बर शर्मिला दी काफी खुश हुई। गढ़वाल हिमालयी व्यू और प्रकृति के अद्भुत नजारों को देख कर और हमारे अन्य स्टाफ् बीरेंद्र सिंहभीम सिंह कमलेश पान सिंह का भी आभार जिनके बगैर हम ये ट्रैकिंग पूरी नही कर सकते थे। आध्यात्मिक शांति प्रेमियों के लिए काग भूषण्डि किसी स्वर्ग से कम नही है।