ज्योर्तिमठ : ज्योतिषपीठ पर 70 सालों से विवाद सनातन धर्म के हित में नहीं,हमारा संकल्प ज्योर्तिमठ उत्तर विश्व की सनातन धर्म राजधानी हो : शं०स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
संजय कुंवर ज्योर्तिमठ /जोशीमठ
ज्योर्तिमठ में सनातन धर्म के संतों का त्रिवेणी समागम संपन्न, भारत के तीन पीठों के शंकराचार्य और संत रहे मौजूद। स्थानीय रविग्राम खेल मैदान में धर्म महासम्मेलन का आयोजन हुआ आयोजन। संत सम्मेलन में बोले ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अवि मुक्तेश्वरानन्द महाराज ज्योर्तिमठ विश्व के सनातन धर्माव लंबियों के लिए सन्देश देते हुए कहा कि 70 सालों से ज्योतिष पीठ को विवादों में रख कर विवाद करने वालों को क्या मिला जोशीमठ कस्बे को क्या मिला। चमोली जिले को उत्तराखंड को और देश को क्या हासिल हुआ? और सनातनी लोंगो को क्या मिला ? आप सामने आइए और बताएं की 70 सालों में विवाद करके आपने क्या उपलब्धि हासिल की है,। क्या उस उपलब्धि से सनातन धर्म को फायदा हुआ है, अगर हुआ हो तो हम भी आपके साथ हैं। सनातन धर्म के हित में होगा कि ये विवाद समाप्त हो हमारा प्रथम प्रयास होगा कि पौराणिक आध्यात्मिक नगरी ज्योर्तिमठ को उत्तर विश्व सनातन धर्म की राजधानी घोषित हो। वहीं देशभर से पहुँचे ब्रह्मचारी,साधु ,संत व सनातनी भक्तगण,सुबह 10 बजे नगर क्षेत्र में निकाली गई तीनों जगतगुरू शंकराचार्य की भव्य शोभायात्रा तीनों जगदगुरुओं का जोशीमठ के आम जनमानस को आशीर्वचन प्राप्त हुआ। इस अवसर पर जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन द्वारिका ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी की इच्छा अनुसार जल्द जोशीमठ की देवभूमि वासियों के लिए 100 शय्याओं का अस्पताल के लिए अगले 6 माह तक भूमि चयन होते ही कार्य शुरू हो जाएगा। साथ ही ज्योर्तिमठ के लिए 10 हजार शिष्यों के लिए एक गुरुकुल परम्परा वाला गुरुकुल विद्यालय खोला जाएगा। ताकि ज्योर्तिमठ से फिर से भारत को जगत गुरु बनाने की नींव रखी जा सके।
उन्होंने कहा कि विगत 70वर्ष से कुछ लोगों द्वारा लगातार इस ज्योतिष पीठ को विवादों के घेरे में रखा गया है। आखिर इससे क्या सनातन धर्म का भला हुआ की नहीं ? यहां तक कि पट्टा भिषेक समारोह के नाम पर भी गुमराह किया जा रहा है जबकि आज ये धर्म सम्मेलन का कार्यक्रम है। उन्होंने हेलंग मारवाड़ी बाईपास को लेकर भी अपने विचार रखते हुए कहा कि बाईपास का असर ज्योर्तिमठ पर भी पड़ेगा और लिहाजा वो इस संदर्भ में केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्री से वार्ता करेंगे। और सकारात्मक हल ढूंढेंगे। इससे पूर्व गढ़रत्न लोकसंस्कृति गायक नरेन्द्र सिंह नेगी द्वारा अपने मधुर स्वर में गणेश वंदना व मधुर गीतों का श्रवण किया गया तो गढ़वाली मांगल गीत को प्रस्तुत करने वाली नन्दा सती के मांगल गीतों और गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की प्रस्तुति ने धर्म महासम्मेलन में आए भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया।