संजय कुंवर
जोशीमठ : पगनों गांव के ऊपर पहाड़ी से लगातार हो रहे भूस्खलन से गांव के 50 परिवारों पर मंडराया खतरा। ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है। लोग रतजगा कर रातें काट रहे हैं। शासन – प्रशासन को घटना की जानकारी होने के बावजूद आंखमूंदे हुए है। अब सवाल यह है कि प्रशासन क्या बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है।
जोशीमठ विकासखंड के दूरस्थ गांव पगनों में मानसून सीजन में भारी बारिश होने से गांव के ऊपर पहाड़ी से लगातार भूस्खलन होने से 50 परिवार खतरे में आ गए हैं। भारी बारिश से जहां कुछ परिवारों के घर ढह गए हैं, वहीं गांव की प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र भी इस आपदा में जमींदोज हो गए हैं। जिनमें से पांच परिवारों को प्रशासन द्वारा टिनशैड में रखा गया है। जबकि 6 से अधिक परिवार अन्य जगहों पर कमरा लेकर रह रहे हैं। वहीं आपदा की भयावह स्थित को देखते हुए तीन सप्ताह पूर्व बदरीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी गांव का निरीक्षण किया गया। और ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के साथ सुरक्षित और विस्थापन का भरोसा दिलाया गया। लेकिन नेताओं के भ्रमण के बाद भी गांव की स्थिति में अब भी कोई सुधार नहीं आया है। भूस्खलन का दायरा हल्की बारिश में भी विकराल रूप धारण कर रहा है। जिससे लोगों की रातों की नींद उड़ी हुई है। ग्रामीण रतजगा कर रात बिताने को मजबूर हैं।
सोमवार की सुबह हुई हल्की बारिश में ही पगनों गांव में भूस्खलन होने ने लोग दहशत में आ गए हैं। ग्राम प्रधान रीमा देवी ने बताया कि भूस्खलन का दायरा लगातार बढ़ने से गांव के 50 परिवारों को खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि इसकी सूचना पटवारी व तहसील प्रशासन को दी गई है। जबकि दोपहर तक कोई भी अधिकारी गांव तक नहीं पहुंचा है। वहीं उन्होंने आरोप लगाया कि शासन – प्रशासन ने सब कुछ देखते हुए भी ग्रामीणों को उनके हाल पर छोड़ दिया है, जिससे कभी भी बड़ी घटना की आशंका बनी हुई है।