जोशीमठ : गुरुद्वारा सहित सीमांत में वैसाखी पर्व धूमधाम से मनाया गया

Team PahadRaftar

गोविंद घाट : गुरुद्वारा साहिब में खालसा साजना दिवस”वैसाखी पर्व पर सबद कीर्तन के साथ झुमैलो चांचडी भी गूंजी

संजय कुंवर, गोविंद घाट, जोशीमठ

बैसाखी के पावन पर्व को खुशहाली और सुख समृद्धि का पर्व माना जाता है. ऐसे में गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट द्वारा श्री हेमकुंड साहिब यात्रा के अहम पड़ाव गोविंदघाट (जोशीमठ) स्थित गुरूद्वारा गोविंद घाट में “खालसा साजना दिवस” बैसाखी का पर्व आज बड़े ही सौहार्द पूर्व माहोल में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. वहीं इस साल की पहली अरदास गोविंदघाट में पढ़ने के साथ ही श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने की तैयारियों मे भी श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन ट्रस्ट जुट गया है.

आज सुबह से गोविंदघाट गुरूद्वारे में हुए मुख्य समारोह में सिख और हिंदू श्रद्धालुओं ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया खालसा साजना दिवस “बैसाखी पर्व. गुरुद्वारा श्री गोविंद घाट साहिब के परिसर में सांस्कृतिक विविधता और अनेकता में एकता की झलक के रूप में आज सुनाई दी गढ़वाली लोक संगीत चांचडी झुमैलो की गूंज “ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि सुबह 10बजे से भोग जी अखंड पाठ के साथ गुरु महाराज की सेवा में संगत द्वारा सबद कीर्तन पाठ हुआ, ठीक 12बजकर 15 मिनट से पवित्र अरदास हुई, जिसमे देश के कोने कोने आए संगतों के साथ साथ स्थानीय गोविंद घाट,पुलना,पांडुकेश्वर, लाम बगड़ छेत्र के हिंदू श्रद्धालुओं ने भी गुरुद्वारा साहिब में मत्था टेका,
दरअसल मुख्य तौर पर सिख समुदाय के लोग बैसाखी को नए वर्ष के रूप में मनाते हैं. बैसाखी तक फसलें पक जाती हैं और उनकी कटाई होती है, उसकी खुशी में भी ये त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बैसाखी मनाने के पीछे की एक वजह ये भी है कि 13 अप्रैल, 1699 को सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, इसके साथ ही इस दिन को मनाना शुरू किया गया था. बैसाखी के दिन से ही पंजाबियों के नए साल की शुरुआत भी होती है.

ऐसे मनाते हैं बैसाखी का उत्सव

बैसाखी के दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है. लोग तड़के सुबह उठकर गुरूद्वारे में जाकर प्रार्थना करते हैं. गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब जी के स्थान को जल और दूध से शुद्ध किया जाता है. उसके बाद पवित्र किताब को ताज के साथ उसके स्थान पर रखा जाता है. वहीं, बैसाखी पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन सिख समुदाय में आस्था रखने वाले लोग गुरु वाणी सुनते हैं. श्रद्धालुओं के लिए खीर, शरबत आदि बनाया जाता है. बैसाखी के दिन किसान प्रचुर मात्रा में उपजी फसल के लिए भगवान का धन्यवाद करते हैं और अपनी समृद्धि की प्रार्थना करते हैं.

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