सीमांत क्षेत्र जोशीमठ में बसंत पंचमी पर्व की धूम,जौ की बालियों से हुआ ज्योतेश्वर महादेव का श्रृंगार
पहाड़ों में ऋतु राज बसंत के आवागमन की आहट देने का पर्व बसंत पंचमी आज बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सीमांत सीमांत क्षेत्र जोशीमठ में भी बसंत पंचमी का त्योहार की धूम रही। आज के दिन लोग अपने घरों की देहरी दरवाजों पर सुख समृद्धि और उन्नति के प्रतीक माने जाने वाले जौ की बाली को गौ माता के शुद्ध गोबर के साथ अपने घरों के दरवाजों खिड़कियों पर इस उद्देश्य से लगाते हैं की वर्ष भर उनके घरों में सकारत्मक ऊर्जा के साथ सुख समृद्धि बनी रहे। साथ ही आज पहाड़ों में खुशहाली के प्रतीक पीले रंग के वस्त्रों को पहन कर मंदिर मठों के विशेष दर्शन पूजन के लिए जाते है और घरों में आज के दिन खास पकवानों के साथ पूरी दाल की पकोड़ी और गुल गुलों को बनाकर प्रसाद के रूप में बसंत पंचमी पर्व के पर अपनी ध्यांणियों, पास पड़ोस और परिजनों मित्रों को बांटा जाता है। इस अवसर पर जोशीमठ के मध्य ज्योर्तिमठ आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित पौराणिक ज्योतेश्वर महादेव मंदिर के कपाट एक माह बाद खुलने के पश्चात आज बसंत पंचमी पर्व पर विशेष अभिषेक पूजन किया गया। जिसमें भगवान शिव को जौ की बालियां अर्पित की गई। मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य महिमा नन्द उनियाल ने बताया कि इस पौराणिक शिवालय में विराजित भगवान शिव की आज जौ की बालियों से विशेष पूजा संपादित की गई। एक माह के बाद अब ज्योतेश्वर महादेव के कपाट आम भक्त जनों के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं। अभिषेक पूजन के बाद भगवान आदि शिव से भूधंसाव आपदा प्रभावित जोशीमठ में सुख शांति बनी रहने के लिए विशेष प्रार्थना भी की गई।