जोशीमठ : भूधंसाव और केयरिंग केपिसिटी को लेकर फुगरों कंपनी की अन्तिम जियो टेक्निकल सर्वे में 50मीटर कोर ड्रीलिंग पूरी, नहीं मिली पक्की चट्टान
संजय कुंवर
जोशीमठ : सूबे के अंतिम सरहदी छोर पर बसे धार्मिक,तीर्थाटन ऐतिहासिक और पर्यटन नगरी जोशीमठ में भूधंसाव आपदा के बाद एक बार फिर से जिओ टेक्निकल सर्वे शुरू हो गया है।
दरअसल मुंबई बेस नीदरलैंड की फुगरो कंपनी के द्वारा भूधंसाव प्रभावित जोशीमठ नगर के विभिन्न वार्डों में भू गर्भीय सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है। कंपनी के द्वारा प्रभावित क्षेत्र के एक बड़े भाग में ड्रिलिंग की जा रही है जिससे जोशीमठ के नीचे की पक्की चट्टान का गहन अध्ययन किया जा सके। देश विदेश की कई नामी गिरामी वैज्ञानिक संस्थाओं ने जोशीमठ की केयरिंग केपिसिटी/ भार क्षमता को लेकर भूगर्भीय अध्ययन किया है। ऐसे में फुगरों कंपनी के द्वारा अंतिम बार किया जा रहा भूगर्भीय सर्वेक्षण पर ही अब सबकी निगाहें टिकी हुई है। उसके पूरे सर्वे के बाद ही जोशीमठ के भार क्षमता की पूरी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
वहीं सर्वे साईट पर मौजूद कार्यदाई संस्था के भूवैज्ञानिक अभिषेक भारद्वाज का कहना है कि अभी तक 50 मीटर से अधिक की कोर ड्रिलिंग हो चुकी है। लेकिन अभी भी पक्की चट्टान नहीं मिली है।सैंपल इकट्ठा कर अध्ययन के लिए मुंबई लैब में भेजे जा रहे है।बताया कि इस ड्रीलिंग के दौरान जमीन के अंदर एक ट्यूब डाली जाती है उन्होंने बताया कि आगे 80 मीटर तक ड्रिलिंग करके पक्की चट्टान को ढूंढने की कोशिश की जाएगी।इस काम में दो से तीन महीने लग सकते हैं और उसके बाद रिपोर्ट सार्वजनिक हो सकती है।