संजय कुंवर
जोशीमठ विकासखंड के पगनों गांव के अस्तित्व पर मंडराया संकट के बादल। गांव के ऊपर से लगातार हो रहे भूधंसाव से लोगों में बना दहशत। लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर भाग रहे हैं, तीन परिवार ने टिनशैड
पर ली शरण। अपनी जिंदगी भर की कमाई को अपने आंखों के सामने जमींदोज होते देख लोगों के आंखों से टपक रहे हैं आंसू। शासन – प्रशासन ने नहीं ली ग्रामीणों की सुध, आपदा के दो सप्ताह बाद भी नहीं बांटी राहत सामग्री, लोगों ने शासन – प्रशासन से विस्थापन की मांग की।
जोशीमठ विकासखंड के दूरस्थ पगनों गांव के ऊपर से लगातार हो रहे भूस्खलन से गांव को खतरा पैदा हो गया है। भूस्खलन से तीन परिवार एक सप्ताह पहले घर छोड़ चुके हैं, जिन्हें गांव से 500 मीटर की दूरी पर टिनशैड बना कर रखा गया है। वहीं कल रात्रि को भारी बारिश से गांव के बीच बढ़ा सा नाला आने से दर्जनभर घरों में मलवा घुस गया है। लोगों ने भागकर जान बचाई और रतजगा किया। गांव के ऊपर निरंतर भूस्खलन का दायरा बढ़ने से अब तक लगभग 50 परिवार खतरे की जद में आ गए हैं। जिससे लोगों में दहशत बनी हुई है।
पगनों ग्राम पंचायत में 124 परिवार रहते हैं। निरंतर हो रहे भूस्खलन से लोग दहशत में बने हुए हैं। भूस्खलन से गांव में खाद्यान्न संकट बना हुआ है। वहीं गांव में एक महीने से पानी नहीं है, ग्रामीण गदेरों के पानी से प्यार बुझा रहे हैं। कुछ दिन पहले उपजिलाधिकारी जोशीमठ कुमकुम जोशी ने भी आपदा प्रभावित गांव का निरीक्षण किया गया। प्रशासन द्वारा तीन परिवारों को टीनशैड की व्यवस्था तो की गई, लेकिन खाद्यान्न सामग्री अभी तक नहीं बांटी गई। जिससे प्रभावित में नाराज़गी बनी हुई है। एक सप्ताह पूर्व बदरीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी ने भी प्रभावित गांव का भ्रमण कर लोगों को हर संभव मदद का भरोसा दिया गया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई न होने से लोगों में आक्रोश बना हुआ है।
ग्राम प्रधान रीमा देवी ने बताया कि आपदा से तीन परिवार अवतार सिंह राणा, बख्तावर सिंह, वासुदेव सुंदरियाल के परिवारों को टीनशैड पर रखा गया है। वहीं कल रात्रि में भारी बारिश होने से गांव के बीच नाला आने से लगभग 12 परिवारों सतेश्तवर प्रसाद , दीपक सिंह पंवार, शिव सिंह, जगत सिंह, कुन्दन सिंह सहित अन्य के घरों में मलवा घुसने से खतरा पैदा हो गया है। सभी परिवारों ने रात्रि में भागकर जान बचाई और रतजगा किया गया। उन्होंने कहा कि गांव में खाद्यान्न व पेयजल संकट पैदा हो गया है। प्रशासन द्वारा अभी तक कोई मदद नहीं की गई है। जिसके चलते ग्रामीणों द्वारा एक माह से गदेरों के पानी से प्यास बुझाई जा रही है। उन्होंने कहा कि गांव के 30 छात्र – छात्राएं राजकीय इंटर कालेज सलूड में पढ़ते हैं। जो कि गांव से 4 किमी दूर है। चारों तरफ रास्ते बंद होने और गांव को खतरा पैदा होने से सभी अभिभावकों ने अपने नौनिहालों को सलूड डूंगरा में कमरा लेकर रखा गया है। उन्होंने कहा कि एसडीएम जोशीमठ और विधायक राजेंद्र भंडारी ने गांव का निरीक्षण किया गया, लेकिन अभी तक गांव में कोई व्यवस्था नहीं की गई है। न ही प्रभावितों को राहत सामग्री बांटी गई है।