जोशीमठ : रक्षाबंधन पर्व पर वंशीनारायण मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने पूजा – अर्चना कर बांधी राखी, यहां वर्षभर में एक दिन पूजा का है विधान – जानिए क्या है कारण

Team PahadRaftar

रघुबीर नेगी उर्गमघाटी

वंशीनारायण जहां केवल रक्षाबंधन के अवसर पर ही होती है सालभर में केवल एक ही दिन पूजा

हिमालय की वादियों में विराजमान 12000 फीट की ऊंचाई पर उर्गमघाटी से लगभग 10 किमी की पैदल यात्रा कर पहुंचा जाता है वंशीनारायण जहां केवल साल भर में एक ही दिन पूजा का विधान है। नाम से तो लगता है कि कृष्ण का मन्दिर होगा पर यहां भगवान विष्णु चर्तुभुज रूप में जलेरी में विराजमान है। साथ ही गणेश तथा वनदेवियों की मूर्ति भी है भगवान शिव व विष्णु का यह अनोखा मन्दिर है।

वंशीनारायण नाम क्यों पड़ा यह इतिहास के गर्भ में ही हो सकता है कि वन देवियां शिव व विष्णु की संयुक्त रूप से होने के कारण वंशीनारायण पड़ा हो कत्यूरी शैली में बना मन्दिर सुन्दर पत्थरों को तराश कर बनाया गया है।

 

क्यों होती है नारायण और शिव की पूजा एकसाथ

लोक कथाओं के अनुसार पाण्डव इस मन्दिर को इतना बड़ा बनाना चाहते थे कि जहां से बदरी – केदार की एक साथ पूजा हो सके किन्तु निर्माण कार्य रात्रि में ही सम्पन्न होना था देवयोग से यह पूरा नही हो पाया आज भी भीम द्वारा लाए गये विशाल शिलाखण्ड यहां मौजूद हैं।

क्यों है मानव जाति को एक दिन पूजा का अधिकार

लोकगाथाओं के अनुसार जब वामन अवतार नारायण ने राजा बलि के वचन के अनुसार धरती आकाश नाप लिया तो राजा बलि ने तीसरा पग अपने सर पर रखने के लिए वामन भगवान से कहा तो पग रखते ही वामन भगवान नारायण राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गये और बलि के दरबार में द्वारपाल बन गए। इधर नारायण को न पाकर लक्ष्मी परेशान हो गयी तो नारद जी के पास गयी, नारद ने भगवान नारायण को पाताल लोक में बलि के दरबार में द्वारपाल होने की बात कही। लक्ष्मी ने नारद से पाताल लोक जाने का अनुरोध किया। नारद लक्ष्मी के साथ पाताल लोक में चले गये देवी लक्ष्मी ने रक्षाबंधन के दिन राजा बलि को रक्षासूत्र बांधा बलि ने देवी लक्ष्मी को वरदान मांगने के लिए कहा तो लक्ष्मी ने पति मांगा जो राजा बलि के दरबार में द्वारपाल बने थे राजा बलि ने देवी लक्ष्मी के पति को मुक्त कर दिया। इस दिन वंशीनारण नारायण की पूजा-अर्चना मनुष्यों द्वारा की गयी इसलिए इस दिन वर्षभर में रक्षाबंधन के दिन ही पूजा-अर्चना  कलगोठ के जाख देवता के पुजारी द्वारा की जाती है भगवान को मक्खन सत्तू बाड़ी का भोग लगता है.

क्या कहता है पुराण

बामन पुराण के चौरासी अध्याय में वर्णन है

अपसरौभि: परिवृत: श्रीमान प्रश्रवणाकुल:
गंधर्वे : किन्नरे यक्षे : सिद्ध चारणपन्नगें : विद्याधरे: सप्तरीको संयतेष्टे: तपस्वी: अर्थात अपसराओं से घिरा गिरते झरनों वाले गन्धर्वोंं किन्नरों यक्षों सिद्ध चारण विद्या आदि तपस्या करने के लिए भगवान वंशी नारायण का स्थान ही एकमात्र सिद्ध तपस्थली है।

यह स्थान उर्गमघाटी की लोकजात यात्रा का प्रथम पड़ाव भी है यहां से दो किमी पर छोटा नन्दीकुण्ड व स्वनूल कुण्ड भी है वंशीनारायण मन्दिर में कलगोठ के ग्रामीण पुजारी होते है जहां भगवान को सत्तू बाडी का भोग लगाया जाता है। इस वर्ष युवक मंगल दल कलगोठ द्वारा भक्तों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया गया वर्षा होने के बाद भी भारी संख्या में 2000 लोग भगवान वंशीनारायण के दर्शन के लिए पहुंचे।भले ही उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग की बेरूखी का शिकार हो पर कुदरत ने यहां अनुपम छटा बिखेरी है।

कैसे पहुंचें वंशी नारायण

वंशीनारायण पहुंचने के लिए चमोली जनपद के ज्योतिर्मय विकास खंड के हेलंग से वाहन द्वारा 16 किमी उर्गम देवग्राम पहुंचकर 10 किमी पैदल वंशी नारायण पहुंच सकतें हैं।

दूसरा मार्ग उर्गम से 15 किमी वाहन द्वारा कलगोठ से 6 किमी पैदल वंशी नारायण पहुंचा जा सकता है वर्तमान समय में यह मार्ग निर्माणाधीन है।

कहां रहे वंशी नारायण में

वंशीनारायण केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के अन्तर्गत है जो कि संयुक्त वन पंचायत उर्गमघाटी की सीमा से मिला हुआ है । आप यहां प्राकृतिक गुफा पर ही निर्भर रह सकते हैं इसके लिए टेन्ट की आवश्यकता होती है। उर्गमघाटी की ग्राम पंचायत देवग्राम में नन्दीकुड ट्रैकिंग एण्ड एडवेंचर्स ग्रुप हिमालय ट्रैकिंग के लिए सारी सूचनाएं उपलब्ध करवाती है आप सम्पर्क कर गाइड पोटर एवं वन विभाग से पंजीकरण ले सकते हैं
9412964230
9761566252

किन बातों का ध्यान रखें

हिमालयी क्षेत्र वंशी नारायण पवित्र भूमि है यहां पर जरा सी लापरवाही आपको वन देवियों का प्रकोप झेलना पड़ सकता है, स्वच्छता का विशेष ध्यान शान्त रहता किसी भी प्रकार की जड़ी बूटी को छेड़ना नहीं पड़ता है इस क्षेत्र की यात्रा पर आप नन्दा अष्टमी तक ब्रह्म कमल को नहीं तोड़ सकते हैं।

उर्गमघाटी से यहां तक के रास्ते की स्थिति दयनीय है जरूरत है कि नन्दा देवी राष्ट्रीय पार्क को यहां तक रास्ता बनाने की आवश्यकता है। लगातार वंशीनारायण में पर्यटकों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है यह मार्ग उर्गमघाटी की हर वर्ष लोकजात का मार्ग भी है। यहां से हर साल दर्जनों दल नन्दीकुड मध्यमहेश्वर की यात्रा करते हैं। वंशीनारायण में बुनियादी सुविधायें रहने के स्थान की कमी है। केवल कुदरत की गुफायें ही है वंशी नारायण में रक्षाबन्धन के अवसर पर हर साल मेला लगता है भगवान वंशी नारायण को सत्तू बाड़ी दूध दही का भोग लगाया जाता है।

हर तीसरे वर्ष आते हैं भगवान वजीर देवता वंशी नारायण एवं मां नन्दा से मिलने

भगवान वजीर देवता की छड़ी निसान हर तीसरे वर्ष इस क्षेत्र के पास छोटा नन्दी स्वनूल कुंड में पूजा अर्चना करते हैं।

वंशी नारायण में पूजा – अर्चना के बाद भगवान वंशी नारायण और भोलेनाथ को राखी बांधकर बहिनों ने अपने भाई के दीर्घायु जीवन एवं देश की सुख समृद्धि की कामना की ।

इस सुदूरवर्ती इलाके में युवक मंगल कलगोठ द्वारा किया गया जहां कोई सुविधा न हो विपरीत परिस्थितियों का सामना युवक मंगल दल कलगोठ द्वारा भंडारे का कार्य बहुत सराहनीय है। इस अवसर पर मनोज रावत पश्चा भूमि क्षेत्र पाल कलगोठ अब्बल सिंह रावत पश्चा मा नन्दा लक्ष्मण रावत सहदेव सुरेन्द्र रावत रविन्द्र रावत समेत हजारों लोग उपस्थित थे।

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