बड़ागांव : “हस्ती” महिषासुर के वध के साथ पौराणिक हस्तोला मेला हुआ संपन्न
संजय कुंवर, बड़ागांव
जोशीमठ प्रखंड के बड़ागांव में आयोजित हस्थोला मेले का महिषासुर वध के साथ समापन हो गया। क्षेत्र की पौराणिक लोक परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं को संजोए हुए सीमांत ग्राम बड़ागांव में आस्था लोक परम्परा से जुड़ा यह मेला हर दो साल में आयोजित होता है। क्षेत्र की लोक परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा यह मेला हर दो साल में आयोजित किया जाता है।
बैसाख के महीने में होने वाले इस लोक देव उत्सव का आयोजन इस साल मंगलवार 30 अप्रैल को किया गया। मेले की शुरुआत मुखौटा नृत्य से हुई, जिसमें 18 ताल पर भगवान गणेश, सूर्य, नृसिंह सहित विभिन्न देवी देवताओं के मुखौटे पहनकर ग्रामीणों ने नृत्य किया।
इसके बाद जागर सैली में रामायण की प्रस्तुति के दौरान राम-लक्ष्मण और सीता के पात्रों ने ढोल दमाऊं की थाप पर नृत्य किया। मेले के बीच में हास्य लोक कलाकारों ने भारत-तिब्बत व्यापार पर प्रस्तुति दी। साथ ही पुराणिक मल्ल युद्ध कोशल, कुर जोगी, चोर, पहलवान नृत्य की भी एक झलक दिखाई दी, आखिरी में मां भगवती के पश्वा ने अवतरित होकर महिषासुर के प्रतीक बनाए गए हस्ती का वध किया।
महिषासुर वध मेले का सबसे आकर्षक दृश्य था। इसके साथ ही मेले का समापन हो गया। बड़ागांव सहित आसपास के गांवों में इस मेले का बड़ा महत्व है। क्षेत्रीय लोक संस्कृति, लोक परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़े इस मेले को लेकर लोग काफी उत्साहित रहते हैं। इस दौरान सैकडो की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। बड़ागांव में हर 1 वर्ष के अंतराल में हस्तोला और 1 वर्ष के अंतराल में गरूड छाड के मेले आयोजित होतं हैं। इन दोनों मेलों के आयोजन की प्रथा भी अलग – अलग है।