धियाण गौरा को बुलाने भल्ला वंशजों के जातयात्री भगवती के ससुराल कैलाश रवाना
रिपोर्ट रघुबीर नेगी
भगवती गौरा को दिए वचन को निभाने भल्ला वंशजों ने भगवती गौरा को बुलाने के लिए कंडी छंतोली, च्यूड़ा, भुज्योवा, काकड़ी व मुगरी स्थानीय उत्पादों समौण के साथ धियाण बहन बेटी गौरा के ससुराल के साथ जात यात्री जिसे स्थानीय भाषा में जातरू कहा जाता है।
शाम 3 बजे भूमिक्षेत्र पाल घंटाकर्ण के सानिध्य में श्री फ्यूंलानारायण के लिए रवाना हो गया, मैतितों ने अपनी लाड़ली के लिए समौण स्थानीय व्यंजन पारम्परिक उत्पाद की भेटूली भेज दी। जागर ढोल धमाऊ की थाप पर जात यात्री आज शाम 7 बजे फ्यूंलानारायण मंदिर पहुंचेगी। नारायण के दरबार में जागर गायन भजन कीर्तन का आयोजन किया जाएगा।
कौन है भल्ला वंशज
देवग्राम में स्थित 40 नेगी परिवार भगवती गौरा देवी के जमाणी मैती है जहां भगवती गौरा बेटी के रुप में विराजमान हैं। पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव मंदिर भैरव बाबा के पुजारी एवं हक हकूकधारी हैं जो भगवती गौरा की पूजा अर्चना एवं परम्पराओं का निर्वहन करते हैं।
क्यों होती है भगवती गौरा की जात
उर्गमघाटी की आराध्य हिमालय पुत्री भगवती गौरी शिव के साथ भावुक पलकों के साथ मायके से कैलाश के लिए विदा हो जाती है शिव के साथ। पौराणिक परम्परा के अनुसार हजारों वर्षों से चली आ रही रीति रिवाज परम्पराएं आज भी उर्गमघाटी की ग्राम पंचायत देवग्राम में मनाई जाती है।
देवग्राम की गौरा मंदिर जहां भगवती बेटी के रूप में विराजमान है हर वर्ष चैत्र बैशाख की षष्ठी तिथि को भगवती की डोली जिसे जम्माण कहा जाता है।गर्भगृह से बाहर निकाली जाती है और प्रतिदिन भगवती के फेरे क्रमश एक से आठ तक देवग्राम के गौरा मंदिर में होते हैं। नवे दिन देवग्राम के आदिकेदार में श्री भूमियाल देवता घंटाकर्ण के सानिध्य में वैदिक रीति रिवाजों मांगलिक गीतों जागरों के साथ महेश्वर भोलेनाथ से भगवती का विवाह होता है।
देवग्राम के नेगी परिवार जिन्हे स्थानीय भाषा में भल्ला कहा जाता है देवी के मायके की भूमिका निभाते हैं। जो देवी की जम्माण नौ दिनों तक फेरे करवाते हैं इस अवसर पर उर्गम घाटी की धियाणियां भगवती की विदाई के लिए मायके पहुंचते हैं जो दूर दराज के क्षेत्रों से पहुंचती है और देवी को भैटूली स्थानीय उत्पाद च्युड़ा भुजली आदि देवी को दी जाती है। विदा होते समय लोगों की आंख से जलधारा निकल जाती है श्री भूमियाल देवता के गौरा धियाण को विदा करना मुश्किल हो जाता है समझा बुझा कर इस आशा के साथ कि तुझे जल्दी मायके बुलाया जायेगा।
जब आली लाठी भादों मास की दूज की तीथ त्वै कू बुलोला लाडी मैंत। है पुत्री जब भादों महीने की दूज की तिथि आयेगी हम तुझे बुलाने तेरे कैलाश आयेंगे।
हिमालय पुत्री गौरा का उत्तराखंड से अटूट सम्बन्ध है भगवती कहीं बेटी बहु धियाण मां के रूप में कणकण में विद्यमान है जिसे रिश्ते के रुप में सर्वाधिक प्रेम मिलता है।
इस अवसर पर पुजारी दरमान सिंह नेगी, पूर्व महिला मंगल दल अध्यक्ष देवग्राम हरकी रावत, जात यात्री संजय सिंह नेगी, गौरा देवी मंदिर समिति अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह नेगी, हरि सिंह कंडवाल, भगवती देवी, संतोषी देवी, सरस्वती देवी, सतेश्वरी देवी, भरत, कुन्दन सिंह रावत, सचिन, लक्ष्मी देवी, सुनीता, रमेश रावत, कमलेश रावत, यशवन्त नेगी, रोबिन किशन समेत ग्रामीण मौजूद रहे।