लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए हनुमान द्रोणागिरी पर्वत को उखाड़ आए
रिपोर्ट रघुबीर नेगी
जोशीमठ : उर्गमघाटी के दूरस्थ गांवों में इन दिनों श्रीराम लीला का मंचन किया जा रहा है, कड़ाके की ठंड के बाद भी भक्त देर रात तक भगवान श्रीराम की लीलाओं का रसास्वादन कर रहे हैं।
पहाड़ के सूदूरवर्ती अंचलों में बसें गांव मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की लीलाओं में आंन्नदित हैं जहां भगवान श्रीराम के प्रति अथाह आस्था है। उर्गमघाटी के भैंटा ग्राम पंचायत अन्तर्गत ग्वाणा अरोसी में श्री गणेश रामलीला मंडली द्वारा आयोजित श्रीराम लीला महायज्ञ के ग्यारहवें दिन भगवान श्रीराम ने समुद्र तट पर लंका विजय हेतु रामेश्वर की स्थापना की जिसमें आचार्य लंकापति रावण थे।
बाली पुत्र अंगद को दूत बनाकर लंका भेजा गया अंगद ने रावण को बहुत समझाने की कोशिश की कि माता जानकी को वापस कर दें। लेकिन अभिमान के मद में चूर रावण नहीं माना तब अंगद ने धरती पर पैर जमाकर रावण की सेना को चुनौती दे डाली कोई भी योद्धा अंगद के पैर को हिला तक नहीं सका तब रावण स्वयं उठकर आया अंगद ने पैर हटा कर रावण के मुकुट को दूर फेंककर श्रीराम के पास चले आये।
इधर भगवान राम ने लक्ष्मण को युद्ध का संचालन करने की आज्ञा दे दी, लक्ष्मण मेघनाथ का घोर संग्राम हुआ इंद्रजीत ने लक्ष्मण पर शक्ति बाण चला दिया जिससे लक्ष्मण मूर्छित हो गये। लक्ष्मण के मूर्छित हो जाने से भगवान राम द्रवित हो गये और विलाप करने लगे लंका से सुषेण वैद्य को बुलाया गया। सुषेण वैद्य ने हनुमान को संजीवनी बूटी लाने द्रोणागिरी भेज दिया और कहां कि रात्रि खुलने से पहले पहुंच जाना जिससे लखन के प्राण बच सकते हैं, बूटियों की पहचान न होने के कारण हनुमान द्रोणागिरी पर्वत ही उठा लाए
कहां है द्रोणागिरी पर्वत
द्रोणागिरी पर्वत जोशीमठ विकास खंड के सूदूरवर्ती नीती घाटी के द्रोणागिरी गांव में स्थित है। पवन पुत्र हनुमान यहीं से पर्वत देवता से युद्ध कर द्रोणागिरी पर्वत को ही उठा लाये थे। क्योंकि सुषैण वैद्य ने बताया था वो बूटियां रात्रि में चमकती है और वहां पूरा पर्वत ही चमक रहा था। आज भी जड़ी बूटी का पूरा भंडार उठा ले जाने के कारण द्रोणागिरी के लोग बजरंगी से नाराज हैं। पर्वत देवता द्रोणागिरी के आराध्य देव हैं ममता वश हनुमान को द्रोणागिरी का पता वृद्ध महिला द्वारा बताया गया था जब हनुमान ने वृद्ध माता को लक्ष्मण के मूर्छित होने की मार्मिक कथा बतायी थी तब पर्वत देवता ने श्राप दिया था कि कोई भी नारी मेरी पूजा में भाग नहीं लेगी जब भी पर्वत देवता अवतरित होते हैं तो भुजा टूटने का दर्द महसूस किया जा सकता है।
इस अवसर पर अध्यक्ष मातवर सिंह चौहान रघुबीर चौहान पूर्ण सिंह चौहान दीपा देवी योगिता पवांर कमला देवी दुर्गा हरकी हर्षवर्धन चौहान प्रेमप्रकाश पवांर गणपत इन्द्र सिंह रावत हरीश विनोद मयंक प्रदीप नेगी संगीत मास्टर दर्शन चौहान तबला वादक धर्मेंद्र पवांर लक्ष्मण सिंह पंवार रघुबीर पवांर राम की भूमिका ताजबर पवांर सूरज चौहान हनुमान चन्द्रमोहन पवांर रावण प्रेम सिंह चौहान मेघनाथ धर्म सिंह चौहान ने शानदार अभिनय किया।