भीगी पलकों के साथ शिव संग कैलाश विदा हुई भल्ला वंशजों की धियाण गौरा
रघुबीर नेगी उर्गमघाटी
जोशीमठ-उर्गम घाटी की आराध्य भल्ला वंशजों की धियांण कुलदेवी भगवती गौरी शिव के साथ भावुक पलकों के साथ मायके से वियवान कैलाश के लिए विदा हो गयी।
पौराणिक परम्परा के अनुसार हजारों वर्षों से चली आ रही रीति रिवाज परम्पराये आज भी उर्गम घाटी की ग्राम पंचायत देवग्राम में मनाई जाती है।देवग्राम का गौरा मंदिर जहां भगवती बेटी के रूप में विराजमान है हर वर्ष चैत्र बैशाख की षष्ठी तिथि को भगवती की डोली जिसे जम्माण कहा जाता है।
गर्भगृह से बाहर निकाली जाती है और प्रतिदिन भगवती के फेरे क्रमश एक से आठ तक देवग्राम के गौरा मंदिर में होते है ।नवे दिन देवग्राम के आदिकेदार में श्री भूमियाल देवता घंटाकर्ण के सानिध्य में वैदिक रीति रिवाजों मांगलिक गीतों जागरों के साथ महेश्वर भोलेनाथ से भगवती का विवाह होता है।देवग्राम के नेगी परिवार जिन्हे स्थानीय भाषा में भल्ला कहा जाता है देवी के मायके की भूमिका निभाते हैं जो देवी की जम्माण नौ दिनों तक फेरे करवाते है ।
इस अवसर पर उर्गम घाटी की धियाणियां भगवती की विदाई के लिए मायके पहुचते है जो दूर दराज के क्षेत्रों से पहुंचती है और देवी को भैटूली स्थानीय उत्पाद च्युड़ा भुजली आदि देवी को दी जाती है।विदा होते समय लोगों की आंख से जलधारा निकल जाती है। भल्ला वंशजों के रंग रंग में बसी है भगवती गौरा जिसे विदा करना कलेजे के टुकड़े को अपने से अलग करने के समान है।
भूमि क्षेत्रपाल घंटाकर्ण के गौरा धियाण को विदा करना मुश्किल हो जाता है घंटाकर्ण अपनी लाड़ली धियाण बहन समझा बुझा कर इस आशा के साथ कि तुझे जल्दी मायके बुलाया जायेगा। आसान नहीं होता है कलेजा के टुकड़े को जिगर से अलग करना।
जब आली लाठी भादों मास की दूज की तीथ त्वै कू बुलोला लाडी मैंत
है पुत्री जब भादों महीने की दूज की तिथि आयेगी हम तुझे बुलाने तेरे कैलाश आयेंगे ।
हिमालय पुत्री गौरा का उत्तराखंड से अटूट सम्बन्ध है भगवती कहीं बेटी बहु धियाण मां के रूप में कण कण में विद्यमान है जिसे रिस्ते के रुप में सर्वाधिक प्रेम मिलता है। पहाड़ के बहु बेटियों के कठोर संघर्ष कठिन जीवन शैली का नाम है गौरा जो पहाड़ की विपरीत परिस्थितियों कठिन जीवन में ढल जाती है
कौन है भल्ला वंशज
देवग्राम में स्थित 40 नेगी परिवार भगवती गौरा देवी के जमाणी मैती है जहां भगवती गौरा बेटी के रुप में विराजमान हैं पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव मंदिर भैरव बाबा के पुजारी एवं हक हकूकधारी है जो भगवती गौरा की पूजा अर्चना एवं परम्पराओं का निर्वहन करते हैं।