विश्व धरोहर फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र में भारी बर्फबारी के बीच वन कर्मियों ने लगाई लंबी गश्त
संजय कुंवर, फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क
चमोली जनपद की उच्च हिमालई भ्यूंडार घाटी में ब्रिटिश पर्वतारोही और बोटनिस्ट फ्रैंक स्मिथ द्वारा खोजी गई जैव विविधता से भरी नंदन कानन विश्व प्राकृतिक धरोहर फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क में घांघरिया बेस कैंप तक इन दिनों वेस्टर्न डिस्टरबेंस के चलते भारी बर्फबारी हुई है। ऐसे में वन्य जीव प्राणियों की सुरक्षा और वन सम्पदा की निगरानी रखने के साथ – साथ पार्क के बफर जोन और प्रतिबंधित क्षेत्र में कड़ी चौकसी बरतने के लिए पार्क कर्मियों की गश्त टीम को इस क्षेत्र में लम्बी दूरी की गश्त करने में काफी जोखिम उठाना पड़ रहा है। बावजूद इसके पार्क कर्मियों की गश्त टीम द्वारा भारी बर्फबारी के बीच फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क के बेस कैंप ऑफिस घांघरिया तक पहुंचने में सफलता हासिल की। हेमकुंड साहिब और वैली ऑफ फ्लावर नेशनल पार्क के बेस कैंप घांघरिया में इस बार मार्च माह की इस बर्फबारी ने बर्फ की पूरी सफेद चादर बिछा दी है। आप इन तस्वीरों के जरिए देख सकते हैं कैसे बर्फबारी के बीच घुटनें तक बर्फ में डूबने के बाद भी फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क के जाबांज पार्क वन कर्मियों की यह टीम दो से तीन फुट बर्फ में जान जोखिम में डालकर फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क की ओर आगे बढ़ रही है, लेकिन लगातार क्षेत्र में हो रही भारी बर्फबारी और मौसम विभाग द्वारा जारी उच्च हिमालई क्षेत्र में ग्लेशियर दरकने के पूर्वानुमान के चलते यह टीम फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क के प्रवेश द्वार के समीप तक की गश्त पैट्रोलिंग करते हुए वापस लौट आई है।
दरअसल यूनेस्को की यह विश्व धरोहर राष्ट्रीय उद्यान 31अक्तूबर को आम पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है। साथ ही विषम भौगोलिक परिस्थितियों और भारी बर्फबारी होने के चलते शीतकाल में घांघरिया में किसी को रहने की अनुमति नही होती है लिहाजा घांघरिया में बर्फबारी होने के बाद पार्क प्रशासन अपनी पूरी टीम के साथ गोविंदघाट पुलना से ही इस राष्ट्रीय उद्यान की निगरानी के लिए डे पैट्रोलिंग और लम्बी दूरी की गश्त करते हुए घाटी के वन संपदाओं और वन्य जीव प्राणियों की सुरक्षा के लिए वन्य जीव तस्करों पर कड़ी नजर बनाए रखता है। बता दें की प्रति वर्ष यही विश्व धरोहर फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क देशी विदेशी पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए 1 जून को खोल दिया जाता है। घाटी की प्राकृतिक सुन्दरता को यहां खिलने वाले 300 से अधिक दुर्लभ प्रजाति के अल्पाइन पुष्पों की महक चार चांद लगा देती है। जहां ग्रीष्मकाल में हजारों पर्यटक इस नंदन कानन का दीदार करने पहुंचते हैं।