संजय कुंवर
जोशीमठ: भू धंसाव आपदा से प्रभावित नगर में श्री रामलीला महायज्ञ अनुष्ठान,धनुष यज्ञ का भव्य आयोजन
जोशीमठ की पावन भूमि को भू धंसाव आपदा से बचाने के निमित गांधी मैदान जोशीमठ में चल रहे भगवान श्री राम को समर्पित श्री रामलीला महायज्ञ/ रामलीला के तीसरे दिन धनुष यज्ञ,परशुराम-लक्ष्मण संवाद और सीता स्वयंवर के साथ श्रीराम चन्द्र जी की भव्य बारात की लीला का शानदार मंचन किया गया। वहीं महिला मंगल डांडो की कोरस की बालिकाओं द्वारा मां धारी देवी माता की स्तुति को भी खूब सराहा गया। तीसरे दिन के रामलीला महायज्ञ के मुख्य अथिति उपजिलाधिकारी जोशीमठ कुमकुम जोशी रही। वहीं श्री नृसिंह नवदुर्गा सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित इस भव्य रामलीला मंचन में मिथिला नरेश जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन करते हैं। जिसमें उनकी शर्त हैं कि जो शिव धनुष को तोड़ेगा उसी के साथ जानकी का विवाह संपन्न होगा।
जनक के आमंत्रण पर स्वयंवर में अनेक देशों के राजाओं के साथ गुरू विश्वामित्र भी शामिल होने आते हैं। जिनके साथ राम और लक्ष्मण भी आते हैं। घोषणा होते ही एकएक करके सभी राजा धनुष को तोड़ने के लिए जोर लगाते हैं, मगर उसे उठाने की कौन कहे कोई हिला तक नहीं सका। वहीं ऋषि विश्वामित्र राम को इशारे से धनुष तोड़ने की आज्ञा देते हैं। श्रीराम द्वारा धनुष उठाते ही वह टूट गया।
धनुष टूटते ही पूरे पांडाल में जयश्री राम के गगनभेदी नारे लगने लगते हैं। तभी भरी सभा वहां क्रोधित परशुराम पहुंच जाते हैं और धनुष के टूटने पर क्रोधित हो उठते हैं। इसके बाद लक्ष्मण और परशुराम के बीच तीखा संवाद होता है। इसके पश्चात धूमधाम से भगवान श्रीराम व सीता जी का विवाह संपन्न होता है।रामलीला देखने आने वाले हजारों की तादाद में श्री राम भक्तों का हुजूम प्रति दिन पांडाल में उमड़ रहा है। रामलीला महा यज्ञ आयोजन समिति श्री नृसिंह नवदुर्गा सेवा समिति के अध्यक्ष नितिन सेमवाल ने बताया कि भू धंसाव आपदा प्रभावित जोशीमठ नगर में इस तरह के धार्मिक सांस्कृतिक आयोजन से लोगों में सामाजिक एकजुटता और एकता के संदेश के साथ आपदा की पीड़ा से भी राहत मिल रही है।