सीमांत जोशीमठ क्षेत्र में लोक पर्व चुन्या त्योहार की धूम है आरसा चुन्या गुलगुले पारंपरिक पकवानों के जायके से महका सीमांत के नगर व गांव
संजय कुंवर
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बीच मकर संक्रांति पर्व की आज से शुरुआत हो चुकी है।
चमोली जनपद में भी इस पर्व को लेकर खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में गजब का उत्साह नजर आ रहा है, जनपद मुख्यालय के क्षेत्रों में इस पर्व को खिचड़ी संक्रांति के रूप में मना रहे हैं तो वहीं सीमांत क्षेत्र जोशीमठ में इस पर्व को दो दिन तक मनाया जाता है। जोशीमठ क्षेत्र के 50 से अधिक गांवों में दो दिन पहले से ही मकर संक्रांति पर्व को लेकर जबरदस्त तैयारिया शुरू हो गई थी, यहां इस त्योहार को चुन्या त्योहार के रूप में मनाया जाता है। विशेष रूप से इस पर्व पर गढ़वाली पारंपरिक लोक मीठे पकवानों आरसा,चुन्या, रोंट,गुल गुले जैसे पहाड़ी व्यंजनों का प्रसाद बनाया जाता है और लोक देवताओं और भगवान सूर्य देव के पूजन के साथ भोग अर्पित करने के बाद इन पकवानों को अपने आस पड़ोस सहित ईष्ट मित्रों और ध्याणियों बेटियों को कल्यो के रूप में बांटा भी जाता है और भेजा भी जाता है। इस पर्व के लिए खासकर महिलाए सामूहिक रूप से कई दिन पहले से ही चावल को ओखल में कुटाई करने के बाद अनुभवी महिलाओं की मदद से गुड के साथ बैटर तैयार किया जाता है, फिर घर के चूल्हे में लकड़ी जलाकर बनते हैं। ये पारंपरिक गढ़वाली मीठे पकवान आज पूरे जोशीमठ नगर में पारंपरिक लोक पकवानों आरसा और चुन्या गुलगुलों की मीठी महक आकर्षित कर रही है। वहीं आज के दिन ग्रामीण अपनी लोक परंपराओं को जीवित रखते हुए दीवारों पर देवताओं को समर्पित अपनी हथेलियों से एपण कला की तरह भगवान सूर्य देव और उनकी देव सेनाओं की आकृति बना कर सूर्य देव के उत्तरायण की ओर प्रस्थान करने को दर्शाते हैं, त्योहार की भव्यता का यह सिलसिला कल सुबह तक चलेगा।
दरअसल भारतीय ज्योतिष गणना को देखा जाय तो मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन, यह 12 राशियां होती हैं। जहां सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को ही‘संक्रान्ति’ कहते हैं। वहीं ‘मकर’ राशि में सूर्य के प्रवेश करने को ही ‘मकर संक्रान्ति’ कहा जाता है। और मकर संक्रान्ति’ भारत के वैदिक पौराणिक पर्वों में से एक मानी जाती है। सनातनी व्रत-तीज-त्योहार-उत्सव, धार्मिक आयोजन भारतीय महीनों तथा तिथियों की गणना के अनुसार मनाए जाते हैं। वहीं इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को है। मकर संक्रांति सूर्य के राशि परिवर्तन कर मकर राशि में प्रवेश का उत्सव है।
हर साल मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में गोचर करने की तिथि पर बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है।मकर संक्रांति के ज्योतिषीय महत्व के साथ-साथ इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बड़ा माना गया है। मान्यता अनुसार देखा जाय तो मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं जहां के एक महीने तक रहते हैं।
मकर संक्रांति से ऋतु में बदलाव आने लगता है। शरद ऋतु की विदाई होने लगती है और बसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। हिंदू धर्म में हर माह आने वाले व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह में मकर संक्रांति के त्योहार का खास महत्व माना जाता है। इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2024 को मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करके भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में हर तरह कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति को देशभर के कई भागों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में जहां इस त्योहार को खिचड़ी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है तो गुजरात और महाराष्ट्र में इसे उत्तराणय के नाम से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इस त्योहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। पंजाब में इसे लोहड़ी और असम में माघ बिहू पर्व मनाया जाता है। तो दक्षिण में पोंगल पर्व मनाया जाता है।