औली : मौसम की बेरुखी न प्राकृतिक बर्फबारी हुई न कृत्रिम बर्फबारी,बढ़ी तो सिर्फ ठंड और दुश्वारी
संजय कुंवर
सूबे की एक मात्र शीतकालीन क्रीड़ा स्थली औली बर्फ बिना सूनी सूनी सी नजर आ रही है, तो औली गोरसों से दिखने वाला गढ़वाल हिमालय का 360 डिग्री का पेनोरमिक व्यू और उसमे दिखने वाली पर्वत श्रृंखला बर्फ विहीन और सूखी नजर आ रही है।
भू वैज्ञानिकों की माने तो विंटर में तापमान बढ़ने से बर्फबारी की प्राकृतिक प्रक्रिया भी शिफ्ट हो रही है। जो हिमालय खास कर औली सहित अन्य बर्फीले शीत कालीन पर्यटन स्थलों के लिऐ ठीक नही हैं, हिम क्रीड़ा स्थली के नाम से पर्यटन मानचित्र में दर्ज विंटर डेस्टिनेशन औली में आलम ये की अब जब 6.5करोड़ के स्नो गन मशीनों में जंग लग चुका है कृत्रिम बर्फ तो दूर प्राकृतिक बर्फ़ के तक दर्शन दुर्लभ हो गए हैं, ऐसे में बर्फबारी के लिए जीएमवीएन पर्यटन विभाग और स्थानीय पर्यटन कारोबारी और जोशीमठ क्षेत्र के लोग सामूहिक रूप से देव आस्था कृपा के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना कर क्षेत्र में बेहतर काश्तकारी बारिश और बर्फबारी और रोजगार के लिऐ बर्फबारी की जरूरत हेतु भगवान विश्व कर्मा से मनौती मांगेगे।
औली के साहसिक पर्यटन कारोबारी अंशुमन बिष्ट बताते है कि औली बुग्याल की सुंदर प्राकृतिक ढलानों पर विंटर गेम्स के लिए बनाई गई इंटर नेशनल स्की फेडरेशन द्वारा एप्रूवल नंदा देवी स्की स्लोप बिना बर्फ के सूखे रेगिस्तान जैसे दिखाई दे रही हैं, इन 1.35 किलोमीटर लंबे दक्षिण मुखी स्की ढलानों पर करीब साढ़े छह करोड़ रुपयों की लागत से यूरोप से आयतित आर्टीफिशियल स्नो मेकिंग सिस्टम और स्नो गन भी एक दशक से महज शो पीस साबित हो रखी है।
यहीं सिस्टम अगर इन दिनों काम कर जाता तो बर्फ के लिए जूझ रहे औली में आने वाले सैकड़ों पर्यटक इसी कृत्रिम बर्फ का लुफ्त उठाते और यहां नेशनल विंटर गेम्स भी अयोजित हो जाते। प्राकृतिक बर्फबारी पर निर्भरता भी कम हो जाती अगर ये सफेद हाथी नन्दा देवी स्कीइंग स्लोप पर बर्फ बनाने में कामयाब हो जाते। वहीं औली में होटल कारोबार चलाने वाले रविंद्र सिंह कंडारी कहते है कि पूरे पहाड़ में जहां तापमान इतना नीचे जा रहा की पानी पाईप लाईन में ही जमा हो जा रहा लेकिन ये विंटर डेस्टिनेशन औली का ही दुर्भाग्य होगा जहां इतने तापमान में भी न कृत्रिम बर्फ बनाने वाली मशीन औली की नन्दा देवी स्कीइंग स्लोप पर बर्फ बनाने में सक्षम हो पा रही और नही 4करोड़ खर्च कराने के बाद पिछले 4सालों से औली ओपन आईस स्केटिंग रिंग में आईस जम सकी है जबकि क्षेत्र में प्राकृतिक झरने,नाले,ताल, सहित नलों तक में पानी जम गया है लेकिन मजाल है की औली में लगी स्नो गन बर्फ बना दे ताकि थोड़ा बहुत पर्यटकों को कृत्रिम बर्फ में ही सही स्कीइंग और स्नो फन का आनंद मिल सके, और आईस स्केटिंग रिंग में अगर आईस जम जाती तो औली मे स्कीइंग के अलावा एक और आउट डोर ऐडवेंचर का लुफ्त उठाते पर्यटक लेकिन अफसोस पर्यटन महकमे और जीएमवीएन की अगुवाई में ये स्नो मेकिंग सिस्टम और आईस स्केटिंग रिंग के हालात कब सुधरेंगे और कब यहां पर्यटकों को कृत्रिम बर्फ में खेलने और आईस स्केटिंग रिंग में फन करने का मौका मिलेगा। फिलहाल सबकी निगाहें 10जनवरी के आसपास होने वाले एक और पश्चिमी विक्षोभ पर टिकी हुई है, औली टीवी टावर के होटल संचालक प्रमोद पंवार बताते है कि 25दिसंबर और न्यू ईयर सेलिब्रेशन पर औली गोरसों पहुंचने वाले पर्यटकों को बर्फ नही दिखने से मायूसी हाथ लगी, ऐसे में बड़ी बात ये की बर्फबारी के सीजन में औली सहित सभी उच्च हिमालई क्षेत्र को बर्फ के लिए जूझना पड़ रहा है। स्थानीय पर्यटन कारोबारियों ओर स्कीइंग प्रेमियों की अभी भी आस है की बर्फबारी ज़रूर होगी और औली गोरसों की वादियां सहित गड़वाल हिमालय की हिम विहीन पर्वत श्रृंखलाएं बर्फ से लक दक होंगी। फिर से यहां चहल पहल लौटेगी ऐसे में आने वाले दिनों में वेस्टर्न डिस्टरबेंस कितना सक्रिय होगा यहां और बर्फबारी से पर्यटन कारोबार चमकेगा और पर्यटकों की बर्फबारी दिखने की मुराद भी पूरी होगी।