रघुबीर नेगी उर्गमघाटी
उर्गमघाटी के हिमालय की उच्च शिखरों में विराजमान सोना शिखर पर्वत पर भगवती मां स्वनूल सुनन्दा का पावन धाम है जहां रहती है भगवती स्वनूल यहां गणेश समेत मां स्वनूल की मूर्तियां हैं विराजमान। मन्दिर के पास केवल तीन ही ब्रह्मकमल होते हैं जबकि दूर – दूर तक कहीं और ब्रह्म कमल नहीं दिखते हैं।
मन्दिर के पास ही मां स्वनूल का सरोवर है यह दिव्य शक्तिपुंज स्थान बड़ा पावन एवं पवित्र है जहां अनुपम शान्ति एवं असीम आनंद की अनुभूति होती है। इस पावन धाम शक्तिपीठ का वर्णन महाभारत के वन पर्व में भी हुआ है जब वनवास के दौरान पांडव यहां से सोना भरकर ले गये थे। जागरों में भी भगवती को सोना शिखर से बुलाया जाता है।
लोक जागरों में भी इस पवित्र शक्तिपीठ का वर्णन आता है। यक बैण रैंदी मेरी सोना शिखरे कहा जाता है कि जब देवी मायके आती है तो सूप्पे में सोना भरकर लाती है।
यह भी कहा जाता है कि इस सरोवर के पास भाग्यशाली लोगों को सोने की दिव्य तलवार के दर्शन भी होते हैं पैतासार हवेगी तेरु सोनू मुटठू खानू जिसका जागरों में भी उल्लेख है। यहां जाने के लिये उर्गम से भर्की होते श्री फ्यूलानारायण मन्दिर से भनाई चांई फुलाना होकर सोना शिखर पहुंचा जाता है।
भगवती स्वनूल के सोना शिखर जाने के लिए भूमिक्षेत्र पाल भर्की भूमियाल से आज्ञा लेनी होती है विना देव आज्ञा के सोना शिखर दर्शन नहीं हो सकते। यहीं से आप चनाप घाटी होते हुए थैंग भी जा सकते हैं। दूसरी ओर से जोशीमठ थैंग चनाप घाटी होते हुए सोना शिखर भनाई फ्यूंलानारायण उर्गमघाटी पहुंच सकते हैं सोना शिखर की यात्रा लोकजात से पहले करनी होती है जिसके लिए अनुभवी गाइड की जरूरत होती है जो पूर्णं रूप से धार्मिक होती है पगपग पर पवित्रता का ध्यान रखना होता है।