छोटे किसान फल सब्जी को बाजार तक भेजने की स्मार्ट व्यवस्था करें तो उनकी आजीविका में होगी वृद्धि और मिलेगा अच्छा लाभ : डॉ. कृशन वीर चौधरी

Team PahadRaftar

छोटे किसान मिलकर खूब उत्पादन कर सकते हैं, वे अपने फ़ल-सब्जी को बाजार तक भेजने की स्मार्ट व्यवस्था करें तो उनकी आजीविका में वृद्धि होना निश्चित है। साथ ही बड़े शहरों के लोगों को पहाड़ी पोषण युक्त सब्जियां मिलेंगी तो वे इन उत्पादों का स्वाद और ऊर्जा का लाभ ले सकेंगे।

शहरों में जैविक और जहर रहित फल-सब्जियों की बहुत कमी है। वहीं उत्तराखण्ड के पहाड़ी अंचलों में इन कृृषि उत्पादों की भरपूर सम्भावना है। अब समय आ गया है कि पहाड़ी किसानों और शहरी उपभोगताओं के बीच परस्पर कनेक्टिविटी बने। इससे किसानों को अच्छी आमदनी और उपभोगताओं को इन उत्पादों का स्वाद और ऊर्जा मिलेगी।

डा0 कृशन वीर चौधरी भारतीय कृषि के सचेतक और भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष हैं। किसानों के मुद्दों पर सरकारों के साथ कार्य करने का उनके पास 30 वर्ष का अनुभव है। किसान नेताओं की एक जमात जहां कृषि के नए कानूनों पर हल्ला-हो करने जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं नए कानूनों का लाभ किसान और गांवों को कैसे मिले, इसी सोच पर डा0 चौधरी देशभर में गावों का भ्रमण कर रहे हैं। गांव भ्रमण के इस सिलसिले में विगत 19 और 20 सितम्बंर 2021 को उन्होंने उत्तराखण्ड के टिहरी जनपद के कुछ गांवों का दौरा किया।
इस दौरान कृषि एवं ग्रामीण मामलों के जानकार तथा हिमालयन जोन (Himalayan_Zone) पर ग्रामीणों से policy_dialogue नीति संवाद स्थापित कर रहे पत्रकार दिनेश चंद्र सेमवाल से डा0 कृशन वीर चौधरी ने अपनी बात साझा की।

यात्रा का उद्देश्य- मेरी यात्रा यह समझ बनाने के लिए थी कि उत्तराखण्ड के ग्रामीण अंचल और उनसे सटे हुए बाजारों में पहाड़ी उत्पादों की मार्केटिंग की स्थिति क्या है। साथ ही, क्या उत्तराखण्ड के किसान अपने कृषि उत्पादों को राज्य के बाहर बेच सकते हैं। नए कृषि कानूनों ने जहां किसानों को अपने उत्पाद को बेचने के लिए कोई भी बाजार चुनने का अवसर देते हैं, वहीं उपभोगताओं को अच्छे और स्वस्थ भोजन के अधिकार की सहूलियत देते हैं।

बाजार की तलाश- देखिए

उत्तराखण्ड के पहाड़ी जनपदों में सब्जियों के उत्पादन की भरपूर संभावनाएं है। यहां के उत्पादों की गुणवत्ता को देश जानता है। पहाड़ी किसानों के पास अपना सामान बेचने के लिए एक अदद सुलभ मार्केट नहीं है। उसी तरह मैदानी शहरों के उपभोगता अच्छी फल-सब्जियों को पाने के मोहताज हैं। इस तरह से अच्छे बाजार की तलाश उत्पादक और उपभोगता दोनो को है। अगर किसान संगठित होकर और एफपीओ (फामर्स प्रोड््यूसर आॅर्गनाइजेशन) के जरिए शहरों तक लगातार भेजने की व्यवस्था बना दे और इन शहरों की अलग-अलग काॅलोनियों में सम्पर्क कर दें तो वहां के उपभागताओं को स्वास्थ्य और पोषण का नया विकल्प मिल जाएगा। अगर किसान इन उत्पादों को हर दिन भेजना सुनिश्चित कर दें, तो उनका उत्पादन हाथों-हाथ बिक जाएगा। इस तरह से उत्तराखण्ड के पहाड़ी किसानों को जहां अच्छी आजीविका मिलेगी, वहीं उपभोगताओं को अच्छा भोजन और अच्छा स्वास्थ्य मिल सकेगा।

कैसे करें कार्य

इस कार्य के लिए युवाओं, उद्यमियों, सेवानिवृत कर्मचारी और अधिकारियों को मिलकर किसानों के सहयोग हेतु आगे आना होगा। ऐसे सहयोग के लिए राज्य 20 साल से इंतजार कर रहा है। किसान भाई-बहन संगठित होकर गांव-गांव में तैयार उत्पाद को आसपास के बाजार या रोड-हेड तक पहुंचाने का जिम्मा लें। संगठन के दूसरे लोग उन्हें ऋषिकेश-देहरादून तक पहंचाना सुनिश्चित करें, इन जगहों पर इन उत्पादों का ग्रेडिंग कर तुरंत मेरठ, गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा, ग्रेटरनोएडा, सहित सम्पूर्ण राजधानी क्षेत्र तक पहुंचाने हेतु मोबाइल वैन की व्यवस्था हो। एक शाम को खेत से निकाली गई सब्जी अगली सुबह निर्धारित काॅलोनी और बाजार तक भेजना सुनिश्चित किया जाना चाहिए, इससे उपभोगताओं को ताजा सब्जियां मिलेंगी और किसानों का उत्पाद सूखने और खराब होने से भी बच सकेगा।

कार्य को आगे बढ़ाएं

आर्थिकी के लिहाज से किसान सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ ले सकते है। यदि किसान संगठित होकर कार्य करेंगे तो कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विश्व विद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के केंद्र किसानों की सहायता के लिए आगे आयेंगे। और राज्य तथा केंद्र सरकार के सम्बंधित विभाग से किसान आसानी से सहायता प्राप्त कर सकेंगे।

शहरी लोगों की मांग

शहरों में ताजा और जैविक भोजन की मांग बढ़ती जा रही है। देशभर में जैविक कृषि उत्पादों का बहुत बड़ा बाजार आकार ले रहा है। विदेशों में भी प्रतिवर्ष आर्गेनिक प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ रही है। आम शहरी लोग आर्गेनिक फूड की ओर बढ़ रहे हैं, ये फल-सब्जियां मांग की तुलना में सभी जगह उपलब्ध नहीं है। उत्तराखण्ड में अधिकतर उत्पादन जैविक विधि से ही तैयार किया जाता है। उत्तराखण्ड सरकार और भारत सरकार जैविक कृषि उत्पादों को निर्यात कर किसानों की आमदनी को बढ़ाने हेतु प्रयासरत है। किसान और स्थानीय लोग मिलकर यह उद्यम आगे बढ़ाएं तो शहर में सभी वर्गों को उचित दाम पर अच्छा और स्वास्थ्यवर्धक भोजन उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही किसानों को अच्छी आमदनी मिल जाएगी।

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