वर्ल्ड हैरिटेज ‘वैली ऑफ फ्लावर्स’ में हिमालयन ‘ब्लू पॉपी’ पुष्प ने बिखेरी रंगत
संजय कुंवर, फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क घांघरिया
चमोली : उत्तराखंड के चमोली जनपद की उच्च हिमालई भ्यूंडार घाटी में मौजूद विश्व धरोहर फूलों की घाटी पहाड़ी प्रकृति पर्यटन और पथारोहण के सबसे शानदार डेस्टिनेशन में से एक है। इस खूबसूरत प्राकृतिक वियावांन वैली ऑफ फ्लावर्स में अनेकों दुर्लभ अल्पाइन प्रजाति के पुष्प देखने को मिलते हैं इसलिए इस घाटी को वनस्पति व पुष्प प्रेमियों का ‘स्वर्ग’ माना जाता है। इन दिनों वैली ऑफ फ्लावर्स में अल्पाइन हिमालई पुष्पों की रानी हिमालयन ब्लू पॉपी अपनी रंगत बिखेर रही है, इस खूबसूरत ब्लू पॉपी पुष्प के खिलने से घाटी की प्राकृतिक सुन्दरता में चार चांद लग गए है, अपने गुजराती पर्यटक दल के साथ वैली ऑफ फ्लावर्स की सैर कर वापस जोशीमठ लौटे माउंटेन गाईड जयदीप भट्ट ने बताया की घाटी में हिमालयन ब्लू पॉपी पुष्प खिल चुका है,जो वैली आने वाले प्रकृति प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है, इसके साथ पोटेंटिल्ला,रेनियम,एनीमोना, प्रिमूला,मार्श मेरी गोल्ड, फॉरगेट मी नोट,केम्पा न्यूला,जिरेनियम, लिलियम, इप्लोवियम,एस्टर स्नेक लिली समेत करीब 50 से अधिक प्रजाति के रंग-बिरंगे पुष्प भी घाटी के चेक पोस्ट से लेकर रिवर व्यू साइड प्वाइंट तक खिले नजर आ रहे हैं। विश्व धरोहर फूलों की घाटी ब्लू पॉपी पुष्प की खुशबू से महक रहा है।
घाटी में सबसे आकर्षक पुष्पों में एक हिमालयन ‘ब्लू पॉपी’… जिसे अल्पाइन हिमालय के पुष्पों की रानी कहा जाता है।
जापानी पर्यटकों की पसंद इस फूल की रंगत देखते ही बनती है। वानस्पतिक नाम मेकोनोपसिस बीटोनिकफोलिया से जाने जाने वाले ब्लू पॉपी का दीदार करने के लिए हर सालदेशी विदेशी पर्यटक खासकर,जापानी,थाइलैंड,सिंगापुर, के पर्यटक दल बड़ी संख्या में फूलों की घाटी में आते हैं।
बता दें की हिमालयन ब्लू पॉपी पुष्प के फूलों की घाटी में आने की कहानी भी काफी रोचक है। वर्ष 1986 तक यह फूल घाटी में नजर नहीं आता था। इसी वर्ष जापान के शोध छात्र चो बकांबे फूलों पर शोध के लिए फूलों की घाटी आए। इसी दौरान उन्होंने जापान में पसंद किए जाने वाले ब्लू पॉपी के बीज घाटी में बिखेरे। तीन साल बाद जब वह दोबारा फूलों की घाटी आए तो वहां ब्लू पॉपी की क्यारी सजी थी। तब से यह फूल लगातार यहां खिल रहा है।
माना ये भी जाता है कि चार दशक पूर्व यह दुर्लभ पुष्प वैली में मेहमान बनकर आया था।जापान से आया था ‘ब्लू पॉपी’ पुष्प चमोली जनपद के भ्यूंडार घाटी में स्थित इस वर्ल्ड हैरिटेज साईट वैली ऑफ फ्लावर्स में ब्लू पॉपी के पुष्प पहले नहीं हुआ करते थे। बताया जाता है कि वर्ष 1986 के आसपास भारत में अध्ययन के लिए आए जापानी छात्र चो बकांबे ने एक शोध के लिए इन पुष्पों की पौध को भारत लाया था।तब से यह पुष्प इस खास और अहम स्थायी सदस्य बन गया। विदेशी सैलानी इस फूल को खासा पसंद करते हैं। ब्लू पॉपी को हिमालयी फूलों की रानी भी कहा जाता है। जुलाई से अगस्त के आखिर तक हेमकुंड साहिब व फूलों की घाटी में यह फूल खूब खिलता है। दुनिया में ब्लू पॉपी की 40 प्रजातियां मौजूद हैं। इनमें से 20 तो भारत में ही पाई जाती हैं।
समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली फूलों की घाटी जैव विविधिता का खजाना है। यहां पर दुनिया के दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव-जंतु, जड़ी-बूटियां व पक्षी पाए जाते हैं। फूलों की घाटी को वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। वर्ष 2005 में यूनेस्को ने इसे विश्व प्राकृतिक धरोहर का दर्जा प्रदान किया। यहां पर प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। फूलों की घाटी गुजराती प्रकृति प्रेमियों के दल को लेकर गए जोशीमठ के माउंटेन गाईड जयदीप भट्ट के अनुसार वर्ल्ड हैरिटेज फूलों की घाटी के लंबे-चौड़े क्षेत्र में यह खूबसूरत हिमालयन ब्लू पॉपी पुष्प अपनी खुशबू बिखेरते हुए अपनी दस्तक दे चुका है। जो प्रकृति प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है।