मेरे प्यारे उत्तराखंड,तू तो युवा हो गया,
लेकिन युवाओं के सपने ,लाचार बूढ़े हो गए।
तू बेबस देखता रहा ,खामोशियों को ओढकर,
शहीदों के स्वप्न कैसे, कहीं दूर धूमिल हो गए।।
ना कम हुई बेरोजगारी,
ना आपदाएं ही रुकीं।
ना शिक्षा के हालात बदले,
ना महंगाई जरा झुकी।।
अवसरवादियों ने अवसर,वहाँ पर भी खोज लिए,
जहां किसी की हसरतों के,आशियाने खो गए।
मेरे प्यारे उत्तराखंड,तू तो युवा हो गया, लेकिन युवाओं के सपने ,लाचार बूढ़े हो गए।।
तू मौन देखता रहा ,
लुट तेरा चमन गया ।
तू करता भी तो क्या भला,
तू स्वतंत्र बंधक बन गया।।
टकटकी लगाए हैंअब भी तेरी वादियां,
न्याय उनको भी मिले, जो तुझे रक्त से भिगो गए।
मेरे प्यारे उत्तराखंड, तू तो युवा हो गया,
लेकिन युवाओं के वो सपने, लाचार बूढ़े हो गए।।
हालात अस्पतालों के,आज भी वैसे ही हैं,
प्रसूता बनके पीड़िता,आज भी हैं मर रही।
शराब के नशे में चूर, हर घर अब भी त्रस्त है,
कहींदो रोटी की चाह में ,चाहतें सिसक रही।।
यह तो नहीं सोचा था तूने ऐसा कुछ चाहा ना था,
वो अंतर्मन जगाएं कैसे, जो गद्दारी में सो गए।
मेरे प्यारे उत्तराखंड ,तू तो युवा हो गया,
लेकिन युवाओं के वो सपने, लाचार बूढे हो गए।।
स्वरचित
सुनीता सेमवाल “ख्याति”
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड