हम आनन्द के उपभोक्ता नहीं, आनन्द ही हैं : पूज्य शंकराचार्य जी महाराज

Team PahadRaftar

हम आनन्द के उपभोक्ता नहीं, आनन्द ही हैं – पूज्य शंकराचार्य जी महाराज

संजय कुंवर ज्योतिर्मठ/चमोली

ज्योतिष्पीठ और द्वारकाशारदापीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज अपने जीवन के शताब्दि वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं । पूरे विश्व में शंकराचार्य जी के लाखों शिष्य उनका जन्मोत्सव बडे धूम धाम से मना रहे हैं। तोटकाचार्य गुफा , ज्योतिर्मठ परिसर में पूज्य शंकराचार्य जी का 99वां जन्मोत्सव बडी धूमधाम से मनाया गया ।

पूज्य महाराजश्री का जन्म संवत् 1980 के भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि (तदनुसार 2 सितम्बर, 1924 ई.) के शुभ दिन भारत के हृदयस्थल माने जाने वाले मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गाँव में सनातन हिन्दू परम्परा के कुलीन ब्राह्मण परिवार में पिताश्री धनपति उपाध्याय एवं माता गिरिजा देवी के यहाँ हुआ ।
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य से ली थी दंड दीक्षा
दण्ड-सन्यास भारतीय इतिहास में एकता के प्रतीक सन्त श्रीमदादिशङ्कराचार्य द्वारा स्थापित अद्वैत मत को सर्वश्रेष्ठ जानकर, आज के विखण्डित समाज में पुनः शङ्कराचार्य के विचारों के प्रसार को आवश्यक जान और तत्त्वचिन्तन के अपने संकल्प की पूर्ति हेतु ईसवी सन् 1950 में ज्योतिष्पीठ के तत्कालीन शङ्कराचार्य स्वामी श्री ब्रह्मानन्द सरस्वती जी महाराज से विधिवत् दण्ड संन्यास दीक्षा लेकर आप ‘स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती’ नाम से प्रसिद्ध हुए।
सर्वोच्च आचार्यत्व ज्योतिष्पीठ के शङ्कराचार्य स्वामी कृष्णबोधाश्रम जी महाराज के ब्रह्मलीन हो जाने पर सन् 1973 में द्वारकापीठ के तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी अभिनव सच्चिदानन्द तीर्थ जी महाराज एवं पुरीपीठ के तत्कालीन शङ्कराचार्य स्वामी निरंजनदेवतीर्थ जी महाराज, शृंगेरी पीठ के तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी अभिनव विद्यातीर्थ जी महाराज के प्रतिनिधि सहित देश के तमाम संतों, विद्वानों द्वारा आप ज्योतिष्पीठ पर विधिवत अभिषिक्त हुए और ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य के रूप में हिन्दू धर्म को अमूल्य संरक्षण दे रहे हैं ।
पूज्य शंकराचार्य जी के जन्मोत्सव के अवसर पर भगवती अखिलकोटिब्रह्माण्ड नायिका राजराजेश्वरी देवी जी का ब्रह्मकमल से भव्य श्रृंगार तथा विशाल भण्डारा का आयोजन किया गया, सायं सभा में वैदिक मंगलाचरण के बाद विद्वानों के द्वारा दीप-प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई ।
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने पूज्य शंकराचार्य जी महाराज के दीर्घायुष्य की कामना की ।
विश्व प्रसिद्ध काशी की पांच आरती की गई ।
कार्यक्रम में उपस्थित रहे सर्वश्री जगदम्बाप्रसाद सती,कुशलानन्द बहुगुणा, विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी, धरणीधर महाराज, अभिषेक ठाकुर,अभिषेक शर्मा, ज्योतिशंकर मिश्र,शैलेन्द्र पंवार, महेन्द्र भट्ट, प्रकाश रावत, किशोर पंवार,वीरेन्द्र सिंह रावत, रघुवीर बिष्ट,माधवप्रसाद सेमवाल,कृष्णमणि थपलियाल, भास्कर डिमरी , रवि शाह , विजय भारती , रोहिणी रावत , स्निग्धा आनन्द , कु हर्षिता बुटोला , अरविंद पंत, प्रदीप सेमवाल, भगवती प्रसाद नम्बूरी , द्रवेश्वर थपलियाल, रामदयाल मैदुली, गौरव सिंह खत्री , सुरेन्द्र सिंह खत्री , नैन सिंह भण्डारी , प्रवीण नौटियाल, आरती उनियाल, समीर डिमरी ,नितिन सेमवाल , सतीशचन्द्र डिमरी, प्रवेश डिमरी, नरेशानन्द नौटियाल जी,सुभाष डिमरी,देवेन्द्र शर्मा,के वी सिंह जी,जगदीश बहुगुणा,जगदम्बाप्रसाद किमोठी जी व देवीशिवप्रिया आदि।

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