सरकार हमारी भी सुनो यह पुकार है दशोली ब्लॉक के दूरस्थ गांव स्यूंण के ग्रामीणों की। ग्रामीणों का कहना है कि उनके लिए कोई शासन – प्रशासन नहीं है। आपदा के एक माह बाद भी प्रशासन का एक पटवारी तक मौके का जायजा लेने नहीं पहुंचा है। जबकि उनके द्वारा शासन प्रशासन को इससे अवगत कराया गया है बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। स्कूली छात्रों और बीमार लोगों को 8 किमी पैदल चलने को मजबूर हैं। स्यूंण के युवा अरुण राणा ने बताया कि 31 जुलाई को बादल फटने से लुदाऊं गधेरे में स्यूंण की लाइफ लाइन ध्वस्त हो गई थी। इसकी सूचना ग्राम प्रधान द्वारा उप जिलाधिकारी चमोली व डीएम चमोली को दी गई।
साथ ही भारी बारिश से ग्रामीणों की दो छावनी व लगभग 100 नाली काश्तकारी भूमि तबाह हो गई। एक माह बीत जाने के बाद भी प्रशासन स्तर से अभी तक मौके का मुआयना करने के लिए एक पटवारी तक गांव नहीं पहुंचा है। जिससे लोगों में आक्रोश है। उन्होंने बताया कि लोग जान जोखिम में डालकर 8 किमी पैदल आवाजाही करने को मजबूर हैं। अरुण राणा ने बताया कि आजकल मौसमी बुखार से गांव में लोग बीमार हैं। बीमार को भी 8 से 10 किमी पैदल चलकर दवाई के लिए जाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि लुदांऊ गधेरे में सड़क पास हो जाए तो लोगों को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को यहां पर जल्द से जल्द स्थाई पुल का निर्माण करना चाहिए यही इसका स्थाई समाधान है। वहीं दूसरी ओर पीएमजीएसवाई के सहायक अभियंता शुभम रावत ने बताया कि उनके द्वारा मौके का मुआयना किया गया। लुदांऊ गधेरे में सड़क खोलने के प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द स्यूंण के ग्रामीणों को इसका लाभ मिलेगा।