केएस असवाल
गौचर : निपुण भारत का सपना, सब बच्चे समझे भाषा और गणना। समग्र शिक्षा के अन्तर्गत प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का तीन दिवसीय एफ एल एन प्रशिक्षण का समापन डायट प्राचार्य आकाश सारस्वत के निर्देशन में हुआ। प्राचार्य ने कहा कि सभी प्रधानाध्यापक निपुण भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें व एक व्यसन मुक्त समाज के निर्माण में अपना योगदान दें।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान जिला समन्वयक गोपाल प्रसाद कपरवाण ने बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के संदर्भ में प्रधानाध्यापक की भूमिका, विद्यालय की सामान्य अकादमिक प्रक्रियाओं में प्रधानाध्यापक की भूमिका एवं उत्तरदायित्व तथा सहायक अध्यापकों के अनुभवात्मक प्रशिक्षण के संबंध में संवेदीकरण पर बातचीत की।
संदर्भ दाता सुमन भट्ट ने पुस्तकालय, पुस्तकों का चयन, प्रदर्शन एवं स्तरीकरण पांच अंगुलियों का नियम आदि विषय पर जानकारी दी। संदर्भ दाता विनीता भण्डारी ने परिचय साक्षरता, साहित्य एवं पुस्तकालय के बारे में तथा अभिभावकों एवं समुदाय की भागीदारी तथा पुस्तकालय रेटिंग सिस्टम विषय पर बात की। पानू चौहान द्वारा बाल मित्र पुस्तकालय, टीचिंग कार्नर का संचालन, बाल पुस्तकालय प्रबंधन समिति तथा उपलब्ध संसाधनों का अभीष्टतम उपयोग करते हुए अकादमिक योजना पर जानकारी प्रदान की गई।
अजीम प्रेम जी फाउण्डेशन के विवेक सोनी ने जेंडर संवेदीकरण, मुख्य पठन गतिविधियां तथा पठन उपरांत विस्तारित गतिविधियों के बारे में वीडियो के माध्यम से जानकारी दी गई। रामसिंह द्वारा विद्यालय की सामान्य प्रक्रियाएं क्या हैं और इन्हें कैसे सुदृढ़ करें विषय पर बात की। अजय ने सीखने सिखाने में प्रधानाध्यापक की भूमिका संबंधी प्रोजेक्ट विषय पर चर्चा की। राप्रावि खाल से बीना वशिष्ठ,देवर खडोरा से राकेश सती, खेता से बलवीर बधाणी, स्यूणीमल्ली से घनश्याम ढौढ़ियाल, ल्वाणी से महादेवी रावत, वल्ली से कविता सती , महेन्द्र सैलानी, बुरांशीधार से सुरेश ठाकुर, छिड़िया से रमेश सिंह निराला आदि ने प्रशिक्षण का सकारात्मक फीडबैक दिया गया। वरिष्ठ संकाय सदस्य लखपत सिंह बर्त्वाल, राजेन्द्र प्रसाद मैखुरी, रवींद्र बर्त्वाल ने भी अपने विचार व्यक्त किये। समापन अवसर पर वीरेंद्र कठैत, योगेन्द्र सिंह बर्त्वाल और बचन जितेला उपस्थित रहे।