लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : क्यूजा घाटी की सीमान्त ग्राम पंचायत किणझाणी के घनल्खया तोक में लगातार भूस्खलन होने से गांव खतरे की जद में आ गया है। आने वाले दिनों में यदि भूस्खलन जारी रहता है तो गांव के 11 परिवारों पर कभी भी प्रकृति का कहर बरस सकता है तथा दर्जनों परिवार को खतरा उत्पन्न हो सकता है। किणझाणी गांव के निचले हिस्से में भूस्खलन होने से काश्तकारों की खेती – बाड़ी के साथ फसलों को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। विगत वर्ष भूस्खलन होने के लिए लगभग 6 लाख रुपये की लागत से सुरक्षा दीवालों का निर्माण तो किया गया था मगर बरसात से पूर्व ही सुरक्षा दीवालों के धड़ाम होने से कार्यदाई संस्था की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गयी है।
भूवैज्ञानिकों द्वारा 31 मार्च 2023 को शासन – प्रशासन को सौंपी अपनी निरीक्षण आख्या में स्पष्ट लिखा गया है कि किणझाणी गाँव के घनल्खया तोक में भूस्खलन होने से गाँव को खतरा बना हुआ है इसलिए भूस्खलन वाले स्थान का ट्रीटमेंट जरूरी है जबकि ग्रामीणों द्वारा भी सीएम दरवार से लेकर डीएम कार्यालय तक भूस्खलन रोकने की गुहार लगाई गयी है मगर आज तक भूस्खलन रोकने के लिए किसी प्रकार की पहल न होने से प्रभावित परिवार अपने को ठगा महसूस करने लगे हैं।
प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि आसमान में बादल छाने से ग्रामीणों की रातों की नींद उड़ जाती है। किणझाणी गाँव के निचले हिस्से में यदि आने वाले समय में भूस्खलन जारी रहता है तो प्रबल सिंह, सुरजीत सिंह, शूर सिंह, बीरेन्द्र सिंह, नरेन्द्र सिंह, राजेन्द्र सिंह, बलवन्त सिंह, चन्दन सिंह, दशरथ सिंह व दरवान सिंह की मकानों को सबसे अधिक खतरा बना हुआ है तथा यदि 11 परिवार खतरे की जद में आ गये तो गाँव के लगभग 100 परिवारों पर कभी भी प्रकृति का कहर बरस सकता है। ग्रामीण शूर सिंह ने बताया कि घनल्खया तोक में हो रहे भूस्खलन की रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी तक गुहार लगाई गयी है मगर आज तक भूस्खलन का ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि विगत वर्ष कृषि विभाग द्वारा भूस्खलन रोकने के लिए लगभग 6 लाख रुपये की लागत से सुरक्षा दीवालों का निर्माण किया गया था मगर सुरक्षा दीवालों के निर्माण में गुणवत्ता न होने से भूस्खलन निरन्तर जारी है।