केएस असवाल
गौचर : अलविदा गौचर मेला अगले वर्ष फिर मिलेंगे के साथ सात दिवसीय गौचर औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले का पुरस्कार वितरण के साथ समापन हो गया है।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवंबर से शुरू हुए गौचर मेले का बुधवार को समापन हो गया है। समापन कार्यक्रम का मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर अवसर विजेता व उपविजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण किया गया। बतौर मुख्य अतिथि प्रतापनगर के विधायक विक्रम सिंह नेगी ने आयोजकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि गौचर जैसा विशाल मेला आयोजित करना आसान काम नहीं है।
उनका कहना था कि मेले हमारी संस्कृति के संवाहक हैं। इनको संरक्षित किया जाना समय की पुकार है। सरकार को भी इस ओर ध्यान देने का जरूरत है। बदरीनाथ के विधायक लखपत बुटोला ने कहा कि यह मेला पहाड़ के लोगों की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए आयोजित किया जाता है। मेले का आयोजन राजनीति से ऊपर उठकर किया जाना चाहिए। उन्होंने बंदरों, सुअरों का मामला उठाते हुए कहा कि सरकार कि सरकार की नाकामियों की वजह से पहाड़ का कास्तकार हांसिए पर चले गया है। यहां के कलाकारों को मंच उपलब्ध न करना भी चिंता का विषय है। उनका कहना था पहाड़ के लोगों की आर्थिकी कैसे मजबूत हो इस ध्यान देने की आवश्यकता है। पहाड़ का जल, जंगल, जमीन बिकते जा रहे हैं।
कपकोट के पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने कहा कि गौचर मेला कुमाऊं व गढ़वाल की संस्कृति का संवाहक है। मेले की पौराणिक संस्कृति को बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए। कांग्रेस जिलाध्यक्ष मुकेश नेगी ने आयोजकों के साथ ही अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर विजय प्रसाद डिमरी,अजय किशोर भंडारी, मनोज नेगी, शिवलाल भारती, मुन्नी बिष्ट, उपासना बिष्ट, लीला रावत, लक्ष्मण पटवाल, अनीता चौहान , मेलाधिकारी उप जिलाधिकारी कर्णप्रयाग संतोष पाण्डेय, तहसीलदार सुश्री सुधा डोभाल आदि लोग मौजूद थे। संचालन हर्षवर्धन थपलियाल, अर्जुन नेगी व सुनील पंवार ने संयुक्त रूप से किया।