गौचर : मां कालिंका की उत्सव डोली विदाई पर छलछला गई आंखें

Team PahadRaftar

केएस असवाल

पालिका क्षेत्र के सात गांवों की आराध्य देवी मां कांलिका की उत्सव डोली को तीन दिनों तक मायके के मंदिर में प्रवास करने के बाद मूल मंदिर के लिए विदा कर दिया गया है। विदाई का यह क्षण कुछ देर किए भावुकता होने पर सबकी आंखें छलछला गई।

मायके पक्ष के लोगों द्वारा अपनी आराध्य देवी कांलिका को गणेश चतुर्थी के दिन मूल मंदिर से पनाई सेरे में स्थित मायके के मंदिर में तीन दिनों की पूजा लिए लाया गया था। इन तीन दिनों तक क्षेत्र के लोगों ने जहां अपनी आराध्य धियाण कालिंका को तमाम प्रकार के समौण के साथ ही श्रृंगार सामग्री अर्पित कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की। वहीं कर्मकांडी पंडितों ने हवन यज्ञ के माध्यम से देवी की विधि विधान से पूजा अर्चना की। इन तीन दिनों तक देवी के दर्शनों के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटी रही। शुक्रवार को पंडितों द्वारा पूर्णाहुति के बाद जब देवी की उत्सव डोली की विदाई का समय आया तो कांलिका ने पुजारी पर अवतरित होकर लोगों को फल आदि वितरित कर आशीर्वाद भी दिया। कालिंका की उत्सव डोली जैसे ही मायके के मंदिर से जाने के लिए बाहर निकली तो तमाम देवी देवताओं ने अपने पाश्वाओं पर अवतरित होकर खिलखिलाने लगे तो कुछ देर के लिए माहौल करुणामय हो गया और सभी की आंखें छलछला गई। महिलाओं ने मांगलिक गीतों से देबी से आग्रह किया कि तू क्षेत्र को खुशहाल कपबनाकर रखना तो अगले वर्ष इसी तरह तुझे बुलाते रहेंगे। यात्रा जैसे ही ससुराल पक्ष की सीमा में पहुंचती है तो वहां पहले से मौजूद सुसराल पक्ष के लोग देवी को मूल मंदिर में ले जाते हैं। देवी को मूल मंदिर तक पहुंचाने के देवी के भाई मानें जाने वाले रावलनगर के रावल भी अपने मूल मंदिर रावलनगर के लिए लौट जाते हैं। नवमी के दिन ससुराल पक्ष के लोगों द्वारा विधि विधान के साथ पूजा अर्चना के बाद कालिंका के कटार को गर्भगृह में रख दिया जाएगा। जहां पुजारी द्वारा नित्य पूजा की जाती है।

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