केएस असवाल
गौचर : मायके के मंदिर में तीन दिनों की पूजा-अर्चना के बाद क्षेत्र की आराध्य देवी धियाण को बुधवार को गाजे बाजे के साथ ससुराल के लिए विदा कर दिया गया है। विदाई का क्षण इतना भावुक हो गया था कि सबकी आंखें छलछला गई।
दरअसल क्षेत्र की आराध्य देवी कालिंका का मूल मंदिर अलकनंदा नदी तट पर भटनगर गांव की सीमा पर स्थित है। हर वर्ष की भांति मायके पक्ष के लोग रविवार को अपनी धियाण आराध्य देवी कालिंका को पूजा – अर्चना के लिए पनाई सेरे में स्थित मायके पक्ष के मंदिर में लाए थे। इन तीन दिनों में जहां मायके पक्ष के लोगों ने अपनी आराध्य धियाण को विभिन्न प्रकार के समूण व श्रृंगार सामग्री अर्पित कर खुशहाली की कामना की, वहीं कर्मकांडी पंडितों ने देवी की विधिवत पूजा-अर्चना की। बुधवार को नंदा अष्टमी के अवसर पर सुबह से ही जहां देवी के दर्शनों के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटी रही वहीं पंडितों ने हवन आदि क्रियाएं संपन्न की। शाम को जैसे ही पुजारी ने वापसी के लिए देवी के कटार को उठाया तो सभी देवी देवता अपने पाश्वाओं पर अवतरित होकर खिलखिलाने लगे इससे क्षेत्र का माहौल इतना करूणामय हो गया था मानो शादी के बाद बेटी को विदा किया जा रहा हो। इससे जहां सबकी आंखें छलछला गई। वहीं महिलाओं ने मांगलिक गीतों से देवी को मनाने का प्रयास किया कि तू सबको खुशहाल रखना इसी प्रकार तुझे अगले वर्ष फिर बुलाएंगे। अपनी धियाण को विदा करने के लिए क्षेत्र के लोगों का रेला उमड़ पड़ा।