गैरसैंण राजधानी यात्रा का भराड़ीसैंण में समापन
5 दिसम्बर से दिवालिखाल में करेंगे आंदोलन
गैरसैंण
गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित किये जाने को लेकर बीते 7 दिनों से जारी पदयात्रा का गुरूवार को समान हो गया। ग्रीष्म कालीन राजधानी के विधानसभा परिषर स्थित भराड़ीसैण देवी मंदिर में पूजा अर्चना व हवन कर यात्री दल ने आगे की रणनीति पर चर्चा पश्चात निर्णय लिया कि 5 दिसम्बर तक प्रदेस के पहाड़ी विधानसभा क्षेत्रों में पहुंच कर जनसंपर्क व मसाल जलूस के माध्यम से जन जागरण किया जाएगा। जिसमें अधिक से अधिक उत्तराखंडियों से भराड़ीसैंण सत्र के दौरान विधानसभा घेराव कार्यक्रम में सामिल होने की अपील की जाएगी। पड़ यात्रा की अगुवाई कर रहे प्रवीण काशी ने कहा कि एक राज्य में 2 राजधानी कतई बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। प्रस्तावित शीतकालीन सत्र में विधानसभा का घेराव कर गैरसैंण को शीघ्र स्थाई राजधानी घोषित किये जाने की मांग उठाई जाएगी।
ज्ञात हो कि घोषित कार्यक्रम के अनुसार 19 नवम्बर को चमोली जिला मुख्यालय से नंगे पांव यात्रा शुरू हुई। चमोली, नंदप्रयाग, लँगसू, कर्णप्रयाग, सिमली, आदिबदरी होते हये यात्री दल बुधबार को विधानसभा मार्ग के मुख्य द्वार दिवालिखाल पहुंचे व गुरूवार को भराड़ीसैण स्थित माता के मंदिर में हवन के बाद यात्रा समपन्न घोषित की गई। यात्री दल में सामिल बिरेन्द्र मिंगवाल ने बताया कि 5 दिसम्बर से दिवालीखाल में धरना शुरू होगा जो सत्र समाप्ति तक चलेगा।
पदयात्रा में प्रवीण सिंह काशी के साथ दीपक फर्स्वाण, भगत बौबी, देवेन्द्र सिंह चौहान,अरविन्द हटवाल, मोहित कुकरेती, दिनेश बहुगुणा, योगेन्द्र राम, संजय रावत, बिक्रम सिंह नेगी, सुरेन्द्र सिंह रावत, नारायण सिंह बिष्ट, समाजसेवी अंशी बिष्ट, भारती मिंगवाल, मनोज पुजारी, मैं बीरेंद्र सिंह मिंगवाल आदि शामिल हैं। जबकि पूर्व राज्य मंत्री सुरेश कुमार बिष्ट, धनीराम, बीरेंद्र आर्य, संजय संजू, बलबन्त सिंह, रमेश नौटियाल आदि ने भराड़ीसैंण पहुंच कर आंदोलन को समर्थन दिया।