सीमांत जनपद चमोली के नीती माणा घाटी के अनुसूचित जनजाति (भोटिया) वर्ग के पौराणिक शीतकालीन प्रवास भूमि को उनके नाम दर्ज करने के सम्बंध मे जनजाति के लोगों ने देहरादून में मुख्यमंत्री से की मुलाकात
सात नवंबर को उत्तराखंड के सीमान्त क्षेत्र नीती माणा घाटी के एक डेलिगेशन ने उत्तराखंड के युवा,मृदभाषी व सरल स्वभाव के धनी माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकत किया।औऱ नीती माणा घाटी से सम्बन्धित कई समस्याओं से माननीय मुख्यमंत्री को अवगत करवाया।लेकिन नीती माणा घाटी के लोगों का जो मुख्य समस्या है वह शीत कालीन प्रवास (भोटिया पड़ाव) आज तक उनके नाम दर्ज नही है। माननीय मुख्यमंत्री को बताया कि सन 1962 से पूर्व हमारे समाज की आजीविका का मुख्य आधार तिब्बत व्यापार हुआ करता था इस व्यापार के माध्यम से सम्पूर्ण समाज के साथ ही साथ गढ़वाल के विभिन्न क्षेत्रों में समुदाय के व्यापारिक केंद्र (भोटिया पड़ाव) के माध्यम से व्यापार किया करते थे।परंतु 1962 के पश्चात तिब्बत पर चीनी आधिपत्य के कारण हमारे समाज का व्यापार पूर्णरूप से बंद हो जाने के कारण धीरे-धीरे हमारे समाज के लोग भोटिया पड़ावों पर ही पूर्णरूप से निवासरत करने लगे और ऊनी कुटीर उद्योग व पशुपालन के माध्यम से अपना जीवन यापन करने लगे।लेकिन आज तक शीतकालीन प्रवास भूमि हमारे समुदाय के लोगों के नामदर्ज नही हो पाया,जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस विषय पर माननीय मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए तुरंत सचिव राजस्व को निर्देशित किया कि तत्काल प्रभाव से इस समस्या का निराकरण किया जाय। शिष्टमंडल मे बैशाख सिंह रावत गरपकी, ,पुष्कर सिंह राणा प्रधान कागा गरपक व नन्दन सिंह रावत द्रोणागिरी शामिल थे।