आस्था : भारी वर्षा व अतिवृष्टि को रोकने के लिए ग्रामीण ने ली देवता की शरण, होमकुंड में किया यज्ञ

Team PahadRaftar

उर्गमघाटी में वर्षा बंद करने एवं सूखा पड़ने के लिए ग्रामीण जाते हैं देवता के शरण में, एक सप्ताह से लगातार वर्षा व अतिवृष्टि होने पर ग्रामीणों ने होमकुंड में किया यज्ञ।

उर्गमघाटी से रघुबीर नेगी की खास रिपोर्ट

परम्परा एवं आस्था विश्वास की धनी उर्गमघाटी के ग्रामीण आज भी अत्यधिक वर्षा होने पर उर्गमघाटी में भूमिक्षेत्र पाल घंटाकर्ण के समीप होमकुंड में यज्ञ करते हैं। जब भी अत्यधिक वर्षा या सूखा पड़ता है तो उर्गम घाटी के ग्रामीण घंटाकर्ण के सानिध्य में उर्गमघाटी में स्थित होमकुंड जो कि हजारों साल पुराना है, वहां पर मेला कमेटी उर्गमघाटी यज्ञ करती है और भूमिक्षेत्र घंटाकर्ण आशीर्वाद देते हैं। होमकुंडों में यज्ञ परम्परा क्षेत्र की खुशहाली समृद्धि धन सम्पदा के लिए किया जाता है। पुराणों में लिखा भी गया है यज्ञात भवति पर्जज्यान्नोपजायते यज्ञ से वर्षा होती है और वर्षा से अन्न अच्छा होता है अन्न से देश समृद्धि और मजबूत होता है।

भूमिक्षेत्र पाल घंटाकर्ण के समीप स्थित हजारों साल पुराना इस होमकुंड में यूं तो 30 से 50 वर्षों के अन्तराल में बड़े यज्ञ होम का आयोजन होता है। जिसमें समस्त घाटी के लोग इस महा आयोजन को करते हैं। जब भी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा होती है या अत्यधिक सूखा पड़ता है तो घाटी के लोग भगवान घंटाकर्ण की शरण में जाकर विनती करते हैं हजारों साल पुरानी यह आस्था आज भी निभाई जाती आ रही है।

उर्गमघाटी में स्थित इस होमकुंड की बात करें तो पुराने लेखों के अनुसार शक सम्वत 1976 सन 1919 के माघ मास 13 गते वसन्त पंचमी से चंडी महायज्ञ शुरू हुआ जिसमें उर्गम के 30 परिवार देवग्राम के 22 परिवार भर्की के 12 परिवार सम्मिलित रहे ।
द्वितीय विष्णु महायज्ञ जो सम्वत 2011 के माघ मास 15 गते वसन्त पंचमी से शुरू हुआ जिसमें उर्गमघाटी के 12 गांवों के 92 परिवारों ने प्रतिभाग किया। इसी परम्परा के तहत 39 साल बाद शक सम्वत 2050 के फाल्गुन मास के 4 गते 15 फरवरी 1994 से आरम्भ हुआ और 25 फरवरी 1994 की पूर्णिमा तिथि को सम्पन्न हुआ। जिसमें उर्गमघाटी के 12 गांवों के 272 परिवारों ने भाग लिया।

क्या कहते हैं मेला कमेटी उर्गमघाटी के अध्यक्ष

वैदिक परम्परा के नियमानुसार उर्गमघाटी में लम्बे अन्तराल में होम महायज्ञ आयोजित किये जाते हैं, हमारी धार्मिक परम्पराओं आस्था और विश्वास आज भी मजबूत है। उर्गम घाटी के लोगों द्वारा जब भी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा या सूखा पड़ता है तो भगवान घंटाकर्ण के सानिध्य में होमकुंड में अतिवृष्टि होने पर यज्ञ करके वर्षा रोकने की कामना की जाती है तथा सूखा पड़ने पर होमकुंड में यज्ञ कर वर्षा के लिए विनती की जाती है जो कि आज भी हमारी आस्था एवं विश्वास है। जो सच्च साबित होती आयी है!

राजेन्द्र रावत,अध्यक्ष श्री नन्दा स्वनूल देवी मेला कमेटी उर्गम घाटी

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