विश्व मानवाधिकार दिवस पर राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी में विभागाध्यक्ष डा.भगवती प्रसाद पुरोहित ने कहा कि विश्व में मानव अधिकारों का संकट लगातार गहराता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज सांप्रदायिक विभेद आतंकवाद, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और प्रदूषण ने मानवाधिकारों पर बुरी तरह प्रहार किया है।
उन्होंने कहा कि कुछ देशों की विस्तारवादी नीतियों के कारण न केवल विश्व पर जैविक युद्ध के बादल घने हुए हैं बल्कि कोरोना अभी तक दुनिया में 55 लाख से अधिक व्यक्तियों की जान ले चुका है। प्रभारी प्राचार्य डा.बीसी शाह ने कहा कि भारत में वोट व तुष्टीकरण की राजनीति ने जन सामान्य के मानव अधिकारों को निगलना शुरू कर दिया है। डा.जगमोहन सिंह नेगी ने विश्व मानवाधिकार के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला और नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने का आह्वान किया। डा.मनीष मिश्रा ने भारत में मानव अधिकार आयोग के गठन की जानकारी दी। समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डा.अनिल कुमार सैनी ने समाज में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के मानव अधिकारों पर बल देते हुए इस बात पर जोर दिया कि सरकारों की योजना सभी को समानता के आधार पर मिलनी चाहिए। डा.राजेश कुमार मौर्य ने समाज में संकीर्णता को छोड़कर मानव में आपसी सहयोग को महत्व दिए जाने की बात कही।