ऊखीमठ। तल्ला नागपुर क्षेत्र में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर निरन्तर गिरावट आने से दर्जनों गावों में पेयजल संकट बना हुआ है। आने वाले दिनों में यदि प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर गिरावट निरन्तर जारी रही तो मई जून में समस्या विकराल बन सकती है। ग्रामीण मोटर मार्ग के किनारो लगे हैडपम्पों पर निर्भर है। मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की फसलों को खासा नुकसान होने से काश्तकारों के सम्मुख दो जून की रोटी का संकट बना हुआ है तथा तापमान में निरन्तर वृद्धि महसूस की जा रही है।
बता दें कि इस बार दिसम्बर जनवरी व फरवरी माह में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर निरन्तर गिरावट आने लग गयी है जिससे तल्ला नागपुर के विभिन्न गांवों को पेयजल आपूर्ति करने वाली पेयजल योजनाओं पर पानी की सप्लाई लगातार कम होने से घिमतोली, क्यूडी कुण्डा, दानकोट, चोपता, जाखणी, लोदला, गोरणा, तडाग फलासी सहित तीन दर्शन से अधिक गावों में पेयजल संकट गहराने लग गया है! तथा काश्तकारों की फसलों को भारी नुकसान होने से काश्तकारों के सन्मुख दो जून रोटी का संकट बना हुआ है! आने वाले दिनों में यदि मौसम के अनुकूल बारिश नहीं हुई तो मई जून में दो बूदं पानी के लिए हाहाकार मच सकता है।
ग्रामीण प्रताप सिंह मेवाल ने बताया कि प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर भारी गिरावट आने से अभी से विभिन्न गांवों में पेयजल संकट गहराने लग गया है! उन्होंने बताया कि मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं, जौ, सरसों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है इसलिए शासन प्रशासन को तल्ला नागपुर सूखाग्रस्त घोषित करना चाहिए! पूर्व जिला पंचायत सदस्य गोकुल लाल टमटा ने बताया कि तल्ला नागपुर के तीन दर्जन से अधिक गांवों में पेयजल संकट गहराने लग गया है ! ग्रामीण लक्ष्मण सिंह बर्तवाल ने बताया कि चोपता क्षेत्र में सबसे अधिक पेयजल संकट होने से ग्रामीण मोटर मार्ग के किनारे लगे हैड पम्पों पर निर्भर है। दीप राणा ने बताया कि सभी पेयजल योजनाओं के मूल स्रोत सूखने से समस्या गम्भीर बनती जा रही है! पंचम सिंह नेगी ने बताया पेयजल संकट गहराने जंगली जीव जन्तुओं के जीवन पर भुगतान संकट के बादल मंडराने लग गये है।