डॉ. कविता भट्ट को मिला गार्गी नेशनल अवार्ड

Team PahadRaftar

लक्ष्मण नेगी 

ऊखीमठ :  एडुजी लाइफ, मप्र भारत और परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश उत्तराखंड के संयुक्त तत्वावधान में वर्ष 2024 के लिए प्रदान किए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय अवार्ड्स सेरेमनी का आयोजन विगत दिनों परमार्थ निकेतन आश्रम ऋषिकेश में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में देश विदेश की योगिनियों ने बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर योगदर्शन से संबंधित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित किया गया जिसमें योगिनियों ने योगदर्शन के विभिन्न पक्षों पर अपने व्याख्यान और शोध पत्र प्रस्तुत किए । साथ ही योग से संबंधित पेंटिंग प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये गये। वैश्विक आवेदनों में से चयन के आधार पर वर्ष 2024 के लिए गार्गी नेशनल अवार्ड
हेतु उत्तराखण्ड की ख्यातिलब्ध लेखिका और दर्शनशास्त्र की व्याख्याता डॉ. कविता भट्ट को दिया गया है। जनपद रूद्रप्रयाग की कालीमठ घाटी कोटमा निवासी डॉ. कविता भट्ट वर्तमान में दर्शनशास्त्र विभाग हे न ब गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल), उत्तराखंड में सहायक आचार्य के रूप में सेवारत हैं। उल्लेखनीय है कि यह अवार्ड योगदर्शन केंद्रित शैक्षणिक लेखन, व्याख्यानों तथा इसके वैश्विक प्रसार हेतु समर्पित नारी शक्ति को प्रदान किया जाता है। विदेशों में योग के प्रचार को समर्पित तीन और भारत में कार्यरत चार महिलाओं को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय योगिनी अवॉर्ड दिए गए। प्रदेश और जनपद स्तर पर चयनित महिलाओं को भी योगिनी अवार्ड प्रदान किए गए। इस अंतरराष्ट्रीय समारोह में डॉ. आर एच लता,सी ई ओ एडुजी लाइफ, डॉ सुबोध तिवारी, सी ई ओ, कैवल्यधाम लोनावाला, डॉ शशि ठाकुर, सलाहकार, राष्ट्रीय महिला आयोग, डॉ प्रवीण गुगनानी, राजभाषा सलाहकार, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश के संत स्वामी चिदानंद सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती की प्रतिनिधि के रूप में साध्वी नंदिनी, डॉ मनोज ठाकुर, सी ई ओ, व्यासा, सिंगापुर इत्यादि अतिथियों की उपस्थिति में यह समारोह संपन्न हुआ। डॉ. कविता भट्ट ने इस पुरस्कार के लिए अपने चयन हेतु समिति की अध्यक्ष डॉ. आर. एच. लता और निर्णायक मंडल के सदस्यों को धन्यवाद दिया। इस बड़े सम्मान पर समस्त प्रदेश वासियों, गढ़वाल विश्वविद्यालय, शैक्षणिक- साहित्यिक जगत् और व्यापक स्तर पर उनके विद्यार्थियों, पाठकों और प्रशंसकों में प्रसन्नता की लहर है। ज्ञात हो कि भारतीय दर्शन में योग दर्शन की विशेषज्ञ होने के नाते डॉ. कविता भट्ट एक गंभीर लेखिका, प्रखर व्याख्याता और शिक्षाविद हैं जो साहित्य जगत में पटेल प्रतिनिधि सभा, लखनऊ द्वारा प्रदत्त शैलपुत्री के नाम से अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त हैं। पहाड़ी महिला का संघर्षपूर्ण जीवन जीते हुए भी डॉ. कविता भट्ट पिछले 25 वर्षों से भारतीय दर्शन, योगदर्शन, गीतादर्शन, महिला सशक्तीकरण और हिन्दी साहित्य पर केंद्रित लेखन और योग के प्रसार हेतु समर्पित हैं । वे अब तक 27 पुस्तकें, दर्जनों शोधपत्र, सैकड़ों लोकप्रिय आलेख और साहित्यिक रचनाएँ सृजित कर चुकी हैं। वर्ष 2019 के लिए डॉ. कविता भट्ट को अखिल भारतीय साहित्य अकादमी पुरस्कार मध्य प्रदेश से प्राप्त हो चुका है। इसके अतिरिक्त अनेक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार/सम्मान डॉ. भट्ट को प्राप्त हुए हैं। 2020 में आपको विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद में कार्यक्रम परामर्श समिति की सदस्य भी मनोनीत किया गया। डॉ भट्ट ने वर्ष 2023 में फिजी में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारत सरकार के प्रतिनिधि मंडल की सदस्य के रूप में प्रतिभाग कर चुकी है! सभी हिमालयीय राज्यों के सुनियोजित विकास पर केंद्रित हिमालयन पीपल पॉलिसी की ड्राफ्टिंग कमिटी की भी सदस्य रह चुकी हैं।
डॉ. कविता भट्ट उत्तराखंड मूल की ऐसी महिला है जिनको योगदर्शन पर केंद्रित गुणवत्तापरक शोधों हेतु भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा अनेक महत्त्वपूर्ण फैलोशिप अवार्ड की गई हैं। योग दर्शन की अध्येता और अनुसंधानकर्त्ता के रूप में आपका अनेक वर्षों का लम्बा अनुभव है।

भारतीय उच्चायोग, दूतावास, अनेक मंत्रालयों, साहित्य अकादमियों और शिक्षण संस्थानों इत्यादि में डॉ. कविता भट्ट निरंतर व्याख्यान हेतु आमंत्रित की जाती हैं। साथ ही मॉरीशस, यू ए ई, यूनाइटेड किंगडम और नेपाल इत्यादि के पटलों पर आमंत्रित व्याख्यान निरंतर प्रसारित हुए हैं। प्रसार भारती के अंतर्गत आकाशवाणी और दूरदर्शन केंद्रों पर वार्ताओं, रूपकों, सामयिक – साहित्यिक रचनाओं के प्रस्तोता के रूप में लंबा अनुभव आपको रहा है। आपकी रचनाएँ देश विदेश की अनेक भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। साथ ही एक संपादक, अनुवादक और कवयित्री के रूप में आपकी विशिष्ट छवि रही है।

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