हेस्को के संस्थापक डॉ0 अनिल प्रकाश जोशी को मिला पद्मभूषण जबकि मैती आन्दोलन के जनक कल्याण सिंह रावत के साथ तीन अन्य हस्तियों को मिला पद्मश्री ।
डॉ अनिल प्रकाश जोशी को पर्यावरण और हिमालय के संरक्षण की दिशा में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए आज पद्मभूषण सम्मान से नवाजा गया। 06 अप्रैल 1955 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे डॉ० अनिल जोशी पिछले 35 सालों से पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्होंने शुरू से ही गांव के लोगों और गांव के संसाधनों पर काम किया है। डॉ० अनिल प्रकाश जोशी की संस्था में भी पर्यावरण को सुधारने के प्रयासों पर काम किया जाता है। पर्यावरण के क्षेत्र में आगे कार्य करने के लिए उन्होंने अपनी प्रोफेसर की नौकरी छोड़ दी थी।
मैती आन्दोलन के जनक कल्याण सिंह रावत को समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए आज दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री से नवाजा। कल्याण सिंह रावत ने मैती आन्दोलन के जरिए 18 से अधिक राज्यों व कई देशों में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जीवविज्ञान के रिटायर्ड प्रवक्ता ने चमोली जिले के ग्वालदम कस्बे से वर्ष 1995 में मैती आन्दोलन की शुरूआत की थी। पद्मश्री से नवाजे गए मैती आंदोलन के सूत्रधार कल्याण सिंह रावत ने कहा कि सम्मान पाने के बाद उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। फिर सूक्ष्म शब्दों में कहा कि आने वाले सालों में वह पर्यावरण संरक्षण को लेकर नई मुहिम शुरू करेंगे और प्रयास किए जाएंगे कि धरातल पर भी उसका असर नजर आए।
प्लास्टिक सर्जन डॉ0 योगी ऐरन को चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्मश्री से आज सम्मानित किया। डॉ ऐरन पर्यावरण के ऐसे मित्र हैं, जिन्होंने अपने जीवन की अभी तक की सारी पूंजी खुद के तैयार किए वन जंगल-मंगल को बनाने में लगा दिया।
पांचवीं पास प्रेमचंन्द शर्मा को जनजातीय क्षेत्र जौनसार-भाबर के दुर्गम क्षेत्रों में विज्ञानी विधि से बागवानी की अलख जगाने के लिए आज पद्मश्री से सम्मानित किया गया, जिनका जन्म जौनसार भाबर के चकराता ब्लॉक के सीमांत गांव अटाल में वर्ष 1957 में एक किसान परिवार में हुआ था। प्रेमचन्द शर्मा को अपने दादा-परदादा से खेती-किसानी विरासत में प्राप्त हुई थी। परंपरागत खेती में लागत के मुताबिक लाभ न होता देख उन्होंने नए प्रयोग करने का निर्णय लिया। इसकी शुरुआत उन्होंने 1994 में अनार की जैविक खेती से की। यह प्रयोग सफल रहा तो उन्होंने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित किया। इसी क्रम में वर्ष 2000 में उन्होंने अनार के उन्नत किस्म के डेढ़ लाख पौधों की नर्सरी तैयार की।
डॉ0 भूपेन्द्र सिंह संजय को चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वर्ष 2005 में हड्डी का सबसे बड़ा ट्यूमर निकालने का विश्व रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हुआ। इसके अलावा 2002, 2003, 2004 व 2009 में सर्जरी में कई अभिनव उपलब्धियों के लिए उन्हें लिम्का बुक में स्थान मिला। जिनमें 98 वर्षीय हाई रिस्क मरीज की सफल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी, 88 वर्षीय बुजुर्ग की स्पाइन सर्जरी आदि शामिल है।